हदीस क़ुृद्सी

संपादन मुहम्मद फ़ारूक़ खाँ.

. बिस्मिल्लाहिर्रह्मानिर्रहीम

अल्लाह के नाम से जो अत्यन्त कृपाशीले दंयावान है।

पाठकों से

यह किताब अपने पाठकों के हाथों में देते हुए हमें बहुत ही. खुशी. महसूस हो रही है। यह किताब कुंदसी हदीसों का एक. संक्षिप्त संग्रह है। कृदसी हदीस से अभिप्रेत ऐसी हदीसें होती हैं जिनमें नबी सल्‍ल० अल्लाह तआला का कथन या कौल पेश करते हैं।

कूदसी हंदीसों का अपना एक खास रंग होता है औरं उनकी एक विशेष शैली होती है। उनके पढ़ने से ऐसा लगता है जैसे अल्लाह अपने बंन्दों से बहुत करीब होकर बातें कर रहा हो और बातें भी बहुत मीठी और मधुर हों ताकि बन्दा ईश्वरीय तेज और जलाल से भयभीत: हो, बल्कि अपने प्रभु की प्यार भरी बातें सुनकर जीवन के सच्चे रास्ते पर लग जाये और अल्लाह की याद: _ उसके दिल में इस तरह घर कर ले कि वह अपने जीवन में कभी भी अपने रब को भुला सके।

हदीस कूदूसी में जिन विषयों को विशेष रूप से लिया गया है वे ये हैं - तौहीद अर्थात एक खूदा से लौ लगाना, उसी के लिए जीना और उसी के लिए मरना, उसी से दुआएं करना और उसी से आशाएं रखना।

तौहीद के अलावा अल्लाह की इबादत पर भी विशेष जोर दिया गया है और फिर सद्व्यवहार, आचरण की शुद्धता और : अच्छे अख़लाक को बुनियादी तौर पर महत्व दिया गया है।

इसके अतिरिक्त हम देखंते हैं कि हदीस कूदूसी में आख़िरंत

* की जिन्दगी और अल्लाह से मुलाक़ात के शौक को खास तौड़ पर उभारा गया है और लोगों को इस बात की नसीहत की गयी है कि

* वे अपनी आखिरत क्रो. संवारने और अपने रब को राज़ी और खुश

रखने. की कोशिश से कभी गाफ़िल हों।

इस किताब को तर्तीब देने में बिरादरम, मुहम्मद अहमद साहब कां पूरा सहयोग हमें प्राप्त रहा है, इस के लिए हम उन के आभारी हैं।

आशा. है कि हमारे पाठकगण इस किताब से पूरा-पूरा लाभ- उठाने की कोशिंशं करेंगे। अल्लाह हमारी कोशिशों को कूबूल करे।

भवददीय.' मुहम्म॑द फारूक खां.

अगस्त १९९१ ई०

इ१ छा 6 की कद: ०८ (०

- तौहीद

शिर्क

- यह भी शिर्क है

तकदीर

- अल्लाह के सोथ अच्छा मुमान रखेनां

. अल्लाह की यांद और उसका स्मरण

. अल्लाह तआला की बखरिशिश और रहमते

. अल्लाह के लिए प्रेम और अल्लाह के लिए वैर . मंसीबते “में धैर्य. का महंत्व

१०. . मेस्लिम संमुदोंय की महानता « आपके सहाबा रजि०

. कूरंआन .पढ़ने का महत्व

* नमाज *

. रोंज़ा और ईद

- संदर्का-खैरात

3. हँंज्ज

- जिहाद

. लोगों के साथ

- शान का महेल्‍व

.. भलाई कु हुक्म देना

- सुशीलेतां

« अपनी जानः का हक

. किंयामत

, स्वर्ग-नरक

. अल्लाह का दीदार

. उसका फैसलां

बीमारपुर्सी का महत्व

-सांकेतिक शब्दार्ध

. संक्षिप्त में इस्तेमाल कुछ ऐसे शब्द इस किताब में आयेंगे, जिनकी मुकम्मल शक्ल और मतलब किताब के अध्ययन से पहले जान लेना ज़रूरी है, ताकि अध्ययन के दौरान कोई परेशानी हो! वे शब्द निम्नलिखित हैं अलैहि० : इसकी मुकम्मत शक्ल है, 'अलेहिस्सेलाम' यानी उन पर सलामती हो!” नबियों और फरिश्तों-के नाम के साथ यह. आदर और प्रेम सूचक शब्द बढ़ा देते हैं। राजि०: इसका पूर्ण रूप है; 'रजियल्लाहु अन्हु,' इसके मायने हैं, 'अल्लाह उनसे राज़ी हो! सहाबी के नाम के साथ यह आदर . और प्रेम सूचक दुआ बढ़ा देते हैं। सहाबी' उस खुश-किस्मत मुसलमान को कहते हैं, जिसे नंबी (सलल०) से मुलाकात का मौका मिला हो। सहांबी का बहुवचन सहाबा है और स्त्रीलिंग सहाबिय: है। राज अगर किसी सहाबिय:ः के नाम के साथ इस्तेमाल हुआ हो तो राजियल्लाह अन्हा पढ़ते हैं और अगर सहाबा के लिये आये तो राजियल्लाह अन्हम कहते हैं। . सल्‍ल०: इसका पूर्ण रूप: है, 'सल-लल-लाहु अलैहि बसलल्‍लम' जिसका मतलब है, अल्लाह उन पर रहमत और सलामती की बारिश करे! हज़रत मुहम्मद (सलल०) का नाम . लिखते, लेते या सुनते हैं तो आदर और प्रेम के लिये दुआ के ये शब्द बढ़ा देते हैं।

तोहीद ; (एकेश्वरवाद)

१. हजुरत अबू दरदा रजि० से रिवायत (र्वरर्णत) है कि अल्लाह के रसल सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है

"मेरा और जिन्‍नों और मनष्यों का अजीब मामला है। मैं इनको .

पैदा करता हूँ और ये मेरे अतिरिक्त दूसरों की बन्दगी करते हैं। मैं. इन्हें रोजी देता हूँ और ये आभार दूसरों के प्रति प्रकट करते हैं। ' - जामे सगीर २. हजरत अनस रजजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल० ने कहा कि तुम्हारा पालनहार प्रभु कहता है ''मैं इस जात का हक रखता हूँ कि मेरा ही डर रखा जाये और मेरे .अतिरिक्त किसी अन्य को पूज्य बताया जाये। अतः जो व्यक्ति किसी दूसरे . को पूज्य बनाने से बचा रहा और उसने मेरे सिवा किसी को पूज्य समझा तो मेरे योग्य यही है कि मैं उसे बख्श दूँ। ; - अहमद, तिरमिजी, नसई ३. हजरत उम्मेहानी रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसल सलल्‍ल० ने कहा कि कियामत के दिन एक पुकारने वाला . पुकार कर कहेगा अर्थात्‌ अल्लाह तआला कहेगा: "ऐ अल्लाह को एक मानने वालो, तुम आंपस में एक-दूसरे की खताएँ माफ़ कर _ दो और तुम्हारा सवाब और प्रतिदान मेरे जिम्मे है। - तबराती

3.

४. हजरत अंबू हुरैरह रजि० से रिवायत है कि नबी सल्ल० ने कहा कि तुम्हारा रब कहता है: ''यदि मेरे बन्दे मेरी पूर्ण रूप से इंबादत और बन्‍न्दगी करें, तो मैं रांत को उन पर वर्षा किया कंरूँ

और दिन की कॉरबारें की खांतिर धूप निकाले (दिया कंरूँ और कंडंक की आंबाज से उन्हें संरक्षित रखूँ।' - अहमद, हाकिम

,. ५. हजरत वहब बिन मुनेब्बे: रजि० से रिवायत है.कि नबी सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: सारे आसमान और जंभीन मरी संमाई के सिंलेंसिले में असमर्थ रहे, मेरी समाई मोमिन के दिंले में होती है।' - अहमद

शिर्क

१. हंजुरत अनंस रजि० से रिवायत॒ है किं अल्लाह के रंसूल सल्ल० ने कंहां कि अल्लाह तआओंलोः कहता हैं: "हे आदम के बेटे, जब तक मँझे पुंकारता रहेगां और मुँझ से आस बनाये रखेगा, मैं तुझे क्षमा करंता रहँगा, चाहे तू किंसी होलत में हो, और मुझे कुछ भी पंरवाह नहीं! हे आंदम की औलाद तेरे गूंनांह अगर इतने ज्यादा हों कि ओकाशों तके पंहँँच जायें और तू मुझ से क्षमायाचंना करे; तो भीं मैं उन गुनांहों को क्षमा केर दँगा, और मुझे कंछ परंवांह नहीं। हे आंदम के बेटे, अंगरे तू मेंझ से एसी हालत में ' मिलेगा कि तेरे पांस इतनी खूताएँ हों जिन से धरती भर जाये किन्त्‌ उन खताओं और ग॒नाहों में शिर्क न॑ हो तो मैं तुझ से उतनी ही बद़िशेशं (क्षमां दान) के साथ मिलूगा। - तिरमिजी

२. हजरत इब्न अब्बास रजि० से रिवायंत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तंआला कहता है: जिस व्यक्ति की यह धारणा हो कि मुझे उसके गुनाह क्षमा कर देने की सामर्थ्य प्राप्त है, तो मैं उसकी ख॒ताएँ बख्श देता हूँ और कंछ परवाह नहीं करता, 'शर्त यह है कि वह मेरे सांथ किसी चीज को शरीक न॑ करंतां हो। - शरहस्सुन्नह

३. हजरत अबू जर रजि० से रिवायंत है कि नबी सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: "हे आदम के बेटे, जब तक तू मेरी बन्दगी और इबादत करता रहेगा और मुझ से आशा रखेगा, और मेरे साथ किसी चीज को शरीक करेगा, तो मैं तुझे क्षमा करता और तुझे बढ़शता रहूँगा। तू यदि आकाश और धरती को

भर देने वाली खताएँ ले कर मेरे समक्ष आयेगा, तो मैं उतनी ही .बड्धिशश और क्षमादान ले कर तुझ से मिलूँगा और तेरे गनाहों को माफ़ कर दूँगा और कुछ परवाह करूँगा।' - तबरानी

४. हजरत अयाज बिन हिमार मुजाशियी रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने एक दिन अपने खूतबे (भाषण) में कहा कि लोगो, जान लो कि मेरे रब ने मझे यह आदेश दिया है कि मैं तुम्हें वे बातें बता दूँ जो तुम नहीं जानते जो मझे अल्लाह .ने “आज बतायी हैं। यहं कि (अल्लाह कहता है :) "जो माल मैंने किसी बन्दे को दिया है वह उसके लिए हलाल (वैध) है और निस्सन्देह मैंने अपने सभी बन्दों को हक की ओर प्रवृत्त. पैदा किया किन्त्‌ उनके पास शैतान आये और उनको उनके धर्म से बहका दिया और जो चीजें मैंने उनके लिए हलाल की.थीं उनको उन पर हराम कर दिया और उन्होंने उनको हुक्म दिया कि बे मेरे साथ ऐसी चीजों को शरीक ठहरायें जिन पर कोई प्रमाण मैंने नहीं उतारा। और निश्चय ही अल्लाह ने धरती के लोगों पर एक नजुंर डाली, तो सिवाय कुछ किताब वालों के जो दीन (धर्म) पर कायम थे सभी अरब और गैर अरब वालों प्र क्रूढ हुआ। और उसने कहा कि मैंने तुझे इसी बात के लिए भेजा कि तेरी परीक्षा करूँ और तेरे कारण कौम की परीक्षा करूँ। और तुझ पर मैंने किताब उतारी कि जिसे पानी धो नहीं सकता। जिसे तू सोते और जागते पढ़ता रहता है। और निश्चय ही अल्लाह ने मुझे आदेश दिया कि मैं करैश को मिटा दूँ। मैंने कहा कि यदि मैं ऐसा करूँ, तो वे मेरा सिर कचल कर रोटी की तरह चौड़ा कर देंगे। उसने कहा कि उनको निकाल दे जिस. प्रकार उन्होंने तुझे निकाला। उन से यद्ध कर हम तेरी मदद करेंगे। तू अपनी सेना पर खर्च कर, हम तुझ पर |

. खर्च करेंगे। और तू उन पर सेना भेज, हम उससे पाँच गुना सेना १०

भेजेंगे। और अपने आज्ञाकारियों को साथ ले कर उन लोगों से लड़ जिल्‍्होंने तेरी अवज्ञा की।” ..._- मुस्लिम

हजरत अब हरैरह रजि० से रिवायत है कि नबी सलल्‍्ल० ने कहा कि अल्लाह तंआला कहता है : ''मैं सभी साझीदारों के शिर्क से बढ़ कर बेपरवा हूँ कि किसी को अपना शरीक बनाऊँ, जिस किसी ने कोई कर्म किया और उसमें उसने किसी और को भी मेरा शरीक ठहराया तो मैं उसे और उसके शिर्क की छोड़ देता हूँ।

- मस्लिम

६. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसल सल्ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: ' जिस किसी व्यक्ति ने किसी कर्म में मेरे गैर को सम्मिलित कर लिया, तो मैं . उससे विरक्त हूँ और वह कर्म उसी के लिंए है जिस के लिए वह किया गया, मेरा उससे कोई संबन्ध नहीं। - मुस्लिम

७. हजरत अनस रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल० ने कहा कि. प्रभ महान अल्लाह कहता है: ' तेरे समुदाय के लोग हमेशा कहते रहेंगे कि यंह कैसे हुआ और यह कैसे हुआ? यहाँ तक कि वे कहेंगे कि इस सृष्टि का ख्रष्टा तो. अल्लाह है फिर प्रभ महान अल्लाह को किसने पैदा किया? - मुस्लिम

८. हजरत अब हरैरह रजजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है : आदम का बेटा जमाने को बुरा कह कर मुझे तकलीफ पहुँचाता है। हालाँकि जमाना तो मैं हूँ। सारे कामों की बाग-डोर मेरे हाथ है। मैं ही रात-दिन को उलटता-पलटता हूँ!” . - बुखारी, मुस्लिम

९. हजरत अब हरैरह राजि० से रिवायते है कि तबी सल्‍ल० ने

११

कहा कि अल्लाह तआला कहता है : “आदम के बेटे ने मुझे झंठलाया हालाँकि यह उसके लिए उचित था। और उसने मुझे ब्रा कहा जबकि यह उसके लिए उचित था। उसका मुझे झुठलाना यह है कि वह कहता है कि अल्लाह ने जिस तरह मुझे पहली बार पैदा किया है दोबारा कंदापि पैदा करेगा। जब कि मेरे लिए उसको पहली बार पैदा करना पुनं: पैदा करने से कछ अंधिंक आसान तो था। और उंसंका मुझे बुंर कहना यह है कि वह कहता है कि अल्लाह ने अपनी बेटा बंनाया है, हालाँकि मैं यकता, निरपेक्ष, सब का आंश्रय हूँ, मुझ से कोई पैदा हुआ और ने मैं किसी से पैदा हुआ, कोई मेरा समकक्ष है।''

इब्ने अब्बांस रजि० से एक रिवायंत में ये शब्द आये हैं: “उसका मुझे बुरा कहना यह है कि बह मेरे लिए बेटा घोषित करता है हालाँकि मेरी महिंमा.के प्रतिकूल है कि मैं अपनी कोई पत्नी बंनाऊँ या कोई बेटा बँनाऊँ।” - बुखारी

१०. हजरत खालिद बिन जुहनी रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍्ल० ने हमें ह॒दैलिया में सवेरे की नमाज पढ़ाई। उस रात वर्षा हुयी थी। नमाज़ के बाद नबी सल्ल० लोगों की ओर फिंरे और कंहा कि क्यो तुम जानते हो कि तुम्हारे रब ने क्या कहा? लोगों ने कहा कि अंललाह और उसका रसूल ही ज़्यादा जानता है। आपने कहा कि अल्लाह कहंता है: ''मेरे कछ बन्दों ने इस हांल॑ में सुबह की कि वे मुझ पंर ईमान रखते थे और कुछ इस हाल में कि उन्हों ने मेरा इनकार किया। जिसने यह कहा कि हम पर अल्लाह की कृपा और उसकी दया से वर्षा हुयी.वह तो मुझ पर ईमान रखने वाला है और नंक्षत्रों को मानने वाला है और जिसने यह कहा कि अमुक नक्षत्र के कारण हम पर वर्षा हयी, उसने मेरे

प्र

साथ क॒फ्र किया। और वह नक्षत्रों पर ईमान रखता है।” -बुखारी, मालिक, नसई ११. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायतः हदीस में है कि. अल्लाह तआला कहता है: “जब भी, मैंने अपने बन्दों पर कोई नेमत उतारी, तो उनमें दो गरोह हो गये। एक ग्रोह मुझ पर ईमान लाया और नक्षत्रों का इनकार किया और एक गरोह नेः नक्षत्रों को माना और मेरे साथ कृफ़ किया। “नसई

१३

यह भी शिशर्क है

१. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अन्तिम समय में कुछ ऐसे लोग पैदा होंगे जो धर्म को दुनिया प्राप्त करने का साधन बनायेंगे। लोगों को दिखाने के लिए भेड़ की खाल और ऊन का वस्त्र पहनेंगे। उनकी जुबानें और उनकी बातें शकर से भी अधिक मीठी होंगी किन्तु दिल उनके भेड़ियों की .तरह कठोर होंगे। अल्लाह तआला ऐसे लोगों के लिए कहेगा : "ये लोग मेरी दी हुई मोहलत और ढील पर धोखा खा रहे हैं अथवा मेरा विरोध करने का दुस्साहस कर रहे हैं। अतः मैं अपनी कसम खाकर कहता हूँ कि ऐसे भारी फ़ितने (उपद्रव) भेजूंगा, जिनके कारण बड़े-बड़े समझदार और सहनशील लोग भी हैरान होकर रह जायेंगे।” - तिरमिजी

२. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि कियामत के दिन पहला व्यक्ति जिसके बारे में फैसला किया जायेगा (कि वह झूठा है) वह व्यक्ति होगा जिसको शहीद कर दिया गया था। जब उसको पेश किया जायेगा, तो अल्लाह उसे अपनी नेमतें याद दिलायेगा और वह उनको स्वीकार करेगा। फिर अल्लाह कहेगा: “तुमने इनके सिलसिले में आभार प्रकट करने को क्या काम किया?” वह कहेगा कि मैं तेरी राह में लड़ा यहां तक कि शहीद हो ग्या। अल्लाह कहेगा : ''तुम झूठे हो, तुम तो इसलिए लड़े थे कि तुमको लोग बहादुर कहें। अतएब तुझे बहादुर कहा गया। फिर उसके बारे में हक्म हो

पड

जायेगा और उसे मुंह के बल घसीटकर लें जाया जायेगा यहां तक कि आग (नरक) में डाल दिया जायेगा।

फिर वहं व्यक्ति होगा जिसने इल्म हांसिल किया और दूसरों को उसकी शिक्षा दी .और कुरआन पढ़ा। जब उसको पेश किया , जायेगा; तो अंललाह उसे अपनी नेमतें याद दिलायेगा और वह उनको स्वीकार करेगा। फिर अल्लाह कहेगा, “तुमने इनके सिलसिले में आभार प्रकट करने को क्या काम किया?” बह कहेगा कि मैंने इल्म हासिल किया और दूसरों को उसकी शिक्षा दी और तेरे लिए कुरआन पढ़ा। .अल्लाह कहेगा: तुम झूठे हो, तुमने तो. इल्म इसलिए हासिल किग्रा था कि लोग तुम्हें आलिम कहें और करआन इसलिए प्रढ़ा कि लोग.तुम्हें कारी कहें। अतएब तुम्हें आलिम और कारी कहा।” फिर उसके बारे में ,.हक्म हो जायेगा और उसको मुंह के बल घसीटकर ले जाया जायेगा यहां तक कि आग में डाल दिया जायेगा। .

फिर वह.व्यक्ति होगा. जिसको अल्लाह :ने.रोजी में. कशादगी : दी थी और उसे हर तरह का माल दिया था। जब. उसको पेश , किया जायेगा, तो अल्लाह उसे अपनी नेमतें याद दिलायेगा और वह उनको स्वीकार करेगा। फिर अल्लाह कहेगा: तुमने इनके सिलसिले में आभार प्रकट करने को क्या काम किया?” बह कहेगा कि मैंने हर एक ऐसी राह में तेरे लिए अपना माल खर्च कियां जिसमें माल खर्च करना तझे पसन्द था और कोई ऐसी राह मैंने छोड़ी नहीं। अल्लाह कहेग़ा, "तुम झूठे हो, तुमने तो इसलिए खर्च किया कि तुम्हें दानशील कहा जाय। अतएब तुझको दानशील , कहा.गयां। /“ फिर उसके ब़ारे में हुक्म हो जायेगा और उसको मुंह के बल घसीटकर ले जाया जायेगा यहां तक कि आग में डाल दिया जायेगा। - मुस्लिम

4 पा

तकदीर

१. हजरत अबू अब्दुल्लाह रजि० से रिवायत है कि मैंने अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० को यह कहते सुना है कि अल्लाह तआला ने अपनी दायीं मुट्ठी में एक जनसमूह को और दूसरी मुट्ठी में दूसरे जनसमूह को लेकर कहा: "ये जन्नत के लिए हैं और ये दोज़खू के लिए। - अहमदः

२. हजरत अनस राजि० और हजरत इब्न उमर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: “जो मेरे फैसले और मेरी नियत की हुई किस्मत से राजी नहीं है, उसको चाहिए कि वह मेरे सिवा कोई दूसरा रब तलाश कर ले।” - बैहकी, तबरानी

'एक हदीस में ये शब्द आये हैं कि अल्लाह तआला कहता है: "जो व्यक्ति मेरे फैसले और हुक्म से खुश हो और मेरी भेजी हुई विर्पत्ति और मुसीबत पर सब्न करे उंसको चाहिए कि मेरे सिवा कोई दूसरा रब खोज ले।” - तबरानी;, अबू दाऊद

३. हजरत अबू हरैरह रजि० से 'रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: ''नज् देने से आदम के बेटे को वह चीज नहीं प्राप्त हो सकती, जो हमने उसके लिए नियत की हो और उसकी तकदीर में. लिखी-न हो। हां. उसका नज् देना उसको उस तकदीर से मिला देता है, जो नज़ के साथ मैंने प्रलम्बित कर रखी है और जिसके कारण मैंने कंजूस के हाथ से माल खर्च कराना लिख दिया होता है। अतः कंजूस इसके कारण मुझ को माल देता है, जो इससे पहले तो देता।”

पद .._- अहमद, बुखारी, नसई

अल्लाह के साथ अच्छा गुमान रखना 5

१. हजरत अबू हरैरह रजि० से: रिवायतः है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि. अल्लाह कहता है: ''मैं: अपने बन्दे के गुमान के साथ हूँ और जब वह मुझे याद करता है तो मैं उसके पास होता हूँ। यदि वह मुझे अपने दिल में याद करता है तो मैं भी उसे अपने दिल में याद करता हूँ। और यदि वह मुझे किसी... जनसमूह में याद करता है तो मैं एक ऐसे समूह में उसकी चर्चा करता हूँ जो उस बन्दे के समूह से कहीं अच्छा और उच्च होता है।:* और अगर कोई बन्दा मुझसे एक बालिश्त (बित्ता) करीब होता.है तो मैं एक हाथ उससे करीब हो जाता हूँ। और जब कोई बन्दा

मुझसे एक हाथ करीब होता है तो मैं दो हाथ उससे करीब हो जाता हूँ। और अगर कोई बन्दा मेरी ओर धीरे-धीरे चलकर आता है तो मैं उसकी ओर दौड़कर बढ़ता हूँ।

-बुखारी, मुस्लिम, तिरमिजी, नसई, 'इब्नमाजह

२. हजरत अनस राजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्ल० ने कहा कि प्रतापवान अल्लाह कहता है: "मैं अपने बन्दे के गुमान के साथ हूँ। वह जैसा चाहे मेरे साथ गुमान रखे।

-बैहकी, तबरानी फ़िल कबीर

३. हजरत अब हरैरह रजि० से. रिवायत है कि. अल्लाह के रसल सलल्‍्ल० ने कहा कि प्रतापवान अल्लाह कहता है: मैं अपने बन्दे के गुमान के साथ हूँ जो वह मेरे साथ- रखता है। .यदि वह

१७

मझसे अच्छा गमान रखे तो यह उसी के लिए अच्छा है। और - अगर बरा गमान रखे तो यह उसी के लिए बुरा है। -अहमद, मुस्लिम

४. हजरत अब हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसल सलल्‍्ल० ने कहा कि 'अल्लाह तआला कहता है: ''मैं अपने बन्दे के गमान के साथ हूँ। और जब वह मुझे पुकारता है तो मैं उसके साथ होता हूँ। -तिरमिजी ५. हजरत अब हरैंरह राजु० से रिवायत है कि अल्लाह के रसल सलल० ने कहा कि प्रतापवान प्रभु अल्लाह कहता है: "मैं अपने बन्दे के गुमान के साथ हूँ जो वह मुझसे रखता है।-मैं उसके . साथ होता हूँ जहां मुझे वह याद करता है। और खुदा की कसम खदा अपने बन्दे की तौबा से उससे कहीं अधिक प्रसन्‍न होता है जितना कि तम में से कोई व्यक्ति अपने खोये हुए ऊंट को किसी चटियल मैदान में पाकर होता है। और (वह कहता है) जो मुझसे एक बालिश्त करीब होता है मैं उससे एक हाथ करीब होता हूँ। और जो मझसे एक हाथ करीब होता है मैं उससे दो हाथ करीब होता हूँ। और जो मेरी तरफ़ चलकर आता है मैं उसकी तरफ़ दौड़कर आता हूँ। ..._- बुख़ारी, मुस्लिम

हजरत वासिला बिन अस्कह रजि० से रिवायत है कि

. अल्लाह के रस॒ल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह कहता है: ''मैं अपने बन्दे के गमान के साथ हूँ जो वह मेरे साथ रखता है। अगर अच्छा गमान रखता है, तो मैं भो उसके साथ अच्छा मामला करता हूँ। और अगर वह बरा गमान करता है, तो मैं भी वही व्यवहार करता हूँ। - तबरानी ७. हज़रत अबू हरैरह रजि० से स्वाथत है कि अल्लाह के

१८

रसूल सल्‍ल० ने कहा कि प्रतापवान प्रभु अल्लाह कहता है: 'जब मेरे किसी बन्दे को मुझसे मिलना प्रिय होता है, तो मुझे भी उससे मिलना प्रिय होता है और जब कोई मुझसे मिलने को नापसन्द करता है, तो मैं भी उससे मिलने को नापसन्द करंता हूँ।"'

-बुखारी, नसई, मालिक

८. हजरत इब्न अब्बास रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला कहता है: "मैं अपने किसी बन्दे के हक में रिआयत (लेहाज) का जिम्मेदार नहीं होता जब तक कि वह मेरे हक और अधिकारों की रिआयत करे। ''

* - तबरानी

९. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला एक बन्दे को नरक में जाने का आदेश देगा। जब वह नरक के किनारे पहुंचेगा तो पलटकर देखेगा और कहेगा कि हे रब अल्लाह की कसम मैं तो : तुझसे अच्छा गुमान रखता था। अल्लाह तआला कहेगा: ''उसे लौटा दो। मैं अपने बन्दे के गुमान के करीब हूँ।” फिर उसे बख्श दिया जायेगा। - बैहकी

१९

' अल्लाह की यादें ओर उसका हि स्मरण १. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत, है कि अल्लाह के . रसूल, सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह, तआला कहता है: “जब मेरा बन्दा मुझे याद करता है और उसके दोतों: होठ मेरे जिक्र (मेरी.

चर्चा) से हिलते हैं, तो मैं उसके निकट ही होता हूँ। '. -“- इब्न माजह

२. हजरत अबू हुरैरह रजि० से रिवायतः है कि अल्लाह के:

.. रसूल सब्ज्० ने कहा कि अल्लाह तआंला कहता है: हे आदम-के

बेटे, यदि -तूने मेरा जिक्र किया तो तूने मेरा आभार प्रकट किया: और यदि तूने मुझको भुला दिया तो तूने मेरे साथ कुफ़ (इनकार कृतध्नता) की' नीति अपनायी।” - तबरानी

३. हजरत. अबू हुरैरह रजि० से रिवायत है कि नबी सल्‍ल० ने

- कहा कि निश्चय ही अल्लाह तआला के चलने-फिरने वाले

फरिश्तों का एक गरोह ऐसा भी है कि उस गरोह के फरिश्ते जिक्र की मजलिसों को तलाश करते रहते हैं। और जब वे ऐसी कोई 'मजलिस पा लेते हैं जिसमें अल्लाह का जिक़ हो रहा होता है तो वे लोगों. के साथ बैठ जाते हैं। और वे-अपने पंख एक-दूसरे पर फैला लेते हैं, यहां तक कि अपने और निकटवर्ती आसमान के बीच के हिस्से को भर देते हैं। जब लोग चले जाते हैं तो ये फ़रिश्ते आसमानों की ओर चढ़ जाते .हैं। नबी सलल० कहते हैं कि

. प्रतापवान अल्लाह उनसे पूछता है हालांकि वह उनके विषय में

२० .

भली-भांति जानता है: “तुम कहां से आये हो?” वे कहते हैं कि धरती में तेरे कछ ऐसे बन्दों के पास से हम आये हैं जो तेरी महानता और तेरी बड़ाई बयान कर रहे थे और केवल तुझी को पूज्य कहकर पुकारते थे और तेरी प्रशंसा कर रहे थे- और तुझसे कुछ मांग रहे थे। अल्लाह कहता है: वे मुझसे क्‍या मांग रहे थे?” वे कहते. हैं कि वे तुझसे जन्नत मांग रहे थे। अल्लाह कहता है: “क्या उन्होंने मेरी जन्नत देखी है?” वे कहते हैं.नहीं, हे मेरे रब! अल्लाह कहता है: “यदि वे मेरी जन्नत को देख लें तो फिर उनका क्या हाल हो!'' फरिश्ते कहते हैं कि और वे तुझसे पनाह भी चाहते थे। अल्लाह कहता है: “किस चीज से वे मेरी पनाह - चाहते थे?” वे कहते हैं तेरी आग (नरक) से, हे रब। अल्लाह कहता है: "क्या उन्होंने मेरी आग देखी है?'' वे कहते हैं कि नहीं। अल्लाह कहता है: “यदि वे मेरी आग को देख लें तो उनका क्‍या हाल हो ?” फिर फरिश्ते कहते हैं कि वे तुझसे बछ्शिशश तलब कर रहे थे। : नबी सल्‍ल० कहंते. हैं कि इस पर अल्लाह कहंता हैः "मैंने उनकी बड्धिशश कर दी और जो कुछ उन्होंने मांगा वह मैंने उमको दिया और- जिस चीज से उन्होंने पनाह मांगी मैंने उससे . उन्हें पनाह दी।" नबी सल्‍ल० फरमाते.हैं कि वे (फ़रिश्ते) कहेंगे कि हमारे रब उनमें तो अमुक व्यक्ति भी था जो बड़ा ही खताकार है। वह तो रास्ते से गुजर रहा था तो उन लोगों के साथ (बर्स यूं ही) बैठ गया। ।$ नवी मल्ल़० कहते हैं कि अल्लाह कहेगा : "मैंने उसे भी ब्रश दिया। वे ऐसे लोग हैं-कि उनके पास बैठने वाला भी बदनसीब : नहीं होगा। -मुस्लिम, बुखारी, (तिरमिंजी, नसई २१

४. हजरत इब्न उमर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह कहता है: 'जिस व्यक्ति को मेरे जिक़ (याद) ने इतना व्यस्त रखा कि वह मुझसे कुछ मांग सका, तो मैं ऐसे बन्दे को मांगने वाले से अधिक देता हूँ।”

-बुखारी, बैहकी

५: हजरत इब्न अब्बास रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के

रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: “यदि कोई

बन्दा मुझे तन्‍्हाई में याद करता है तो मैं भी उसे तन्‍्हाई में याद करता हूँ। और जब कोई बन्दा किसी जन समूह में मुझे याद करता है, तो मैं उसको ऐसे समूह में याद करता हूँ जो उसके जनसमूह से कहीं अच्छा और बड़ा होता है।” - बैहकी

६. हजरत उमारह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल . सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: "मेरा कामिल बन्दा बह है जो मुझको उस हालत में याद करता है जबकि वह अपने दुश्मन से. मिलता है।” ..- -/ तिरमिजी

७. हजरत मआजू बिन अनस रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला क़हता है: "जब कोई बन्दा मुझको अपने जी में याद करता है तो मैं उसको सामान्य फ्रिश्तों के समूह में याद करता हूँ और जब मुझकी कोई बन्दा किसी जनसमूह में याद करता है तो मैं उसका जिक्र अपने करीबी. फ़रिश्तों में किया करता हूँ। - तबरानी

श्र

अल्लाह तआला की बखझिशश और रहमत

१. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल० ने कहा कि जब अल्लाह ने खिल्कत (लोगों) को पैदा : करने का फैसला किया तो एक किताब लिखी जो अर्श पर उसके पास है। उसमें लिखा: “निश्चय ही मेरी रहमत (दयालुता) मेरे गजब (प्रकोप) से आगे बढ़ गयी है।

एक हदीस में ये शब्द आये हैं: “मेरी रहमत मेरे गज॒ब पर ग़ालिब है। - बुखारी, मुस्लिम

२. हजरत सौबान रजि० से रिवायत है कि नबी सल्ल० ने कहा कि जब कोई बन्दा अल्लाह की रजामन्दी (खूशी) की तलाश में रहता है और निरन्तर इसी तलाश में लगा रहता है, तो प्रतापवान प्रभु अल्लाह जिब्रील (अ०) से कहता है: “मेरा अमुक बन्दा मुझे राजी करने की तलाश में लगा हुआ है। जान रखो कि मेरी रहमत उस पर है।”

हजरत जिब्रील अ० कहते हैं कि अल्लाह की रहमत अमुक व्यक्ति पर हो और फिर अर्श को उठाने वाले (फ़रिश्ते) और उनके आस-पास के फरिश्ते भी यही कहते हैं, यहां तक कि यही बात सातों आसमान के रहने वाले भी कहने लगते हैं। फिर वह रहमत उसके लिए जमीन पर उतरती है। - अहमद-

३. हज़रत अबू सईद खुदरी रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि तिरस्कृत शैतान ने अल्लाह से कहा कि मुझे तेरे प्रताप की सौगन्ध, जब तक तेरे बन्दों के प्राण उनके

र्३े

शरीर में रहेंगे, मैं उन्हें बहकाता और पथश्रप्ट करवा रहूँगा। ,अल्लाह तआला ने कहा: मुझे अपने प्रताप और तेज और मजे अपने उच्च मर्तबा (प्रतिष्ठा) की सौगन्ध, जब तक मेरे बन्दे मुझ से क्षमा-याचना करते रहेंगे; मैं उन्हें क्षमा करता रहूँगा।'' हर » अहमद ४. हजरत अबू जर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: ''हे मेरे बन्दो, मैंने जुल्म को अपने ऊपर हराम किया है और मैंने तुम्हारे लिए भी जुल्म को '.हराम कर दिया। अतः आपस में तुम एक-दूसरे पर जुल्म किया करो। हे मेरे बन्दो, तुम सब पथश्रष्ट हो सिवाय उस व्यक्ति के जिसको मैंने राह दिखायी।' तुम मुझसे मार्ग-दर्शन की याचना करो, मैं तुम्हें राह दिखाऊंगा और तुम्हारा मार्ग-दर्शन करूंगा। हे मेरे बन्दो, तुम सब के सब भूखे हो सिवाय उसके जिसको मैं खिलाऊं। अतः मुझी से खाना मांगो, मैं तुम्हें खिलाऊंगा। हे मेरे बन्दो, तुम सब के सब नंगे हो सिवाय उसके जिप्को मैं कपड़ा पहनाऊं। अतः मुझसे बस्त्र मांगो, मैं तुम्हें पहनाऊंगा। हे मेरे बन्दो, तुम रात-दिन खताएं करते रहते हो. और मैं सब गुताहों को बख्शता हूं। अतः तुम मुझी से 'क्षमा-याचना करो, मैं तुम्हें क्षमा करूंगा। हे मेरे बन्दो, तुम मुझे कोई हानि नहीं पहुंचा सकते और मुझे कोई लाभ पहुंचा सकते हो। हे मेरे बन्दो, यदि तुम्हारे अगले और पिछले लोग और तुम्हारे मानव और तुम्हारे जिन्‍न सब के सब एक बड़े संयमी और डर रखने वाले व्यक्ति के हृदय की तरह हो जाय॑ं, तो इससे मेरे राज्य

१. अर्थात आदमी पथश्रष्टता और गुमराही से निकल नहीं सकता जब तंक वह खुद अल्लाह के दिखाये हुए मार्ग का अनुसरण करे।

रथ

में कछ भी अभिवृद्धि होगी। हे मेरे बन्दो, यदि तुम्हारे अगले और पिछले लोग और तुम्हारे मानव और तुम्हारे जिन्‍न सब के सब एक बहुत बड़े दुस्साहसी, मर्यादाहीन व्यक्ति के हूंदेंय की तरह हो जाय॑ं, तो इससे मेरे राज्य में कुछ भी कमी होगी। हे मेरे

बन्दो, तुम्हारे अगले और पिछले लोग और तुम्हारे मानव और तम्हारे जिन्‍न सब के सब एक मैदान में खड़े हों और मुझसे मांगने लगें और मैं हर एक को जो वह मांगे दूं, तो इसंसे जो कुछ मेरे पास है उसमें कोई कमी होगी। किन्तु बस उतनी जितनी समुद्र में सुई डालकर निकाल लेने से समुद्र के पानी में कमी होती है। हे मेरे बन्दो, ये तो तुम्हारे ही कर्म हैं जिनको मैं तुम्हारे लिए गिनता रहता हूं। फिर तुम्हें उनका पूरा-पूरा बदला दूंगा। अतः जो व्यक्ति अच्छा बदला पाये तो उसे चाहिए कि वह अल्लाह की प्रशंसा करे और जो इसके विपरीत (बुरा बदला) पांये तो बह केवल अपने आपको मलामत करे। - मुस्लिम

५.हजरत अबू जर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह क़े रसूल सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: "हे मेरे बन्दो, तुम . में से हर एक गुमराह है सिवाय उसके जिसे मैंने राह दिखायी। अतः तम मझसे मार्ग-दर्शन की याचना करो, मैं तुम्हारा मार्ग-दर्शन करूंगा। तममें से हर एक निर्धन है सिवाय उसके जिसको मैं धनवान और बेपरवाह कर दूं। अतः तुम मुझसे मांगा मैं तम्हें रोजी दंगा। तममें से हर एक गुनाहगार है सिवाय उस व्यक्ति के जिसे मैंने बचा लिया। अतः तुममें से जो व्यक्ति यह जानता है कि मझे क्षेमा करने और बखझुशने की सामर्थ्य प्राप्त है फिर वह मुझसे क्षमा और बख्शिश के लिए प्रार्थना करता है। मैं उसे क्षमा कर देता हूँ और गुनाह क्षमा करने में कुछ परवाह नहीं करता। और यदि तुम्हारे अगले और पिछले और तुम्हारे मरे हुए २५ बे

और जीवित लोग और तुम्हारे कमजोर और बलवान सबके सब मेरे परहेजगार बन्दों में से किसी एक व्यक्ति. के डर रखने वाले दिल की तरह हो जायें तो इससे मेरे राज्य में एक मच्छर के पंख के बराबर भी अभिवृद्धि नहीं हो सकती। और अगर तुम्हारे अगले और पिछले और तुम्हारे मरे हुए और जीवित लोग और तुम्हारे कमज़ोर और बलवान सबके सब मेरे बदन्सीब बन्दों में से किसी व्यक्ति के दिल की तरह हो जायें, तो इससे मेरे राज्य में एक मच्छर के पंख के बराबर भी कमी नहीं हो सकती। और यदि तुम्हारे अगले और पिछले, मरे हुए और जीवित लोग और कमजोर और बलवान सबके सब एक मैदान में इकट्ठा हो जाय॑। फिर हर एक मनृष्य अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मुझसे प्रार्थना करे और मैं हर एक मांगने वाले की मांग पूरी कर दूं, तो इससे मेरे राज्य और खजाने में कोई कमी होगी। यह तो बात ऐसी होगी जैसे तुममें से कोई समुद्र पर से गुजरते हुए एक सुई समद्र में डालकर फिर उसे उठा ले। यह इसलिए कि मैं अत्यन्त दानशील यशस्वी हूं। जो चाहता हूं करता हूं। मेरा देना कलाम और मेरा अजाब ,भी कलाम है। जब मैं किसी चीज का इरादा करता हूं, तो मैं बस यह कहता हूं कि हो जा और वह हो जाती है। -तिरमिजी, अहमद, इब्न माजह

६. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि जब कोई बन्दा गुनाह करने के बाद कहता है कि हे अल्लाह, मेरे गुनाह को क्षमा कंर दे, तो अल्लाह तआला कहता है: “क्या मेरा बन्दा यह जानता है कि उसका कोई रब है? जो गुनाह बख़शता है और गुनाह पर पकड़ता भी है। मैंने अपने बन्दे को क्षमा करुं दियां। फिर जब तक अल्लाह चाहता है बन्दा गुनांह से बचा रहता है फिर यह बन्दा गुनाह कर बैठता है

२६

और क्षमा-याचना करता है कि मेरे रब, मुंझसे गुनाह हो गंया, तू क्षमा कर दे। अल्लाह तआला कहता है: 'क्या मेरा बन्दा यह जानता है कि उसका कोई रब है? जो गुनाह बख़्शता है और गनाह पर सजा भी देता है। मैंने अपने बन्दे को क्षमा कर दिया।

इसके बाद कछ समय तक जिसको अल्लाह तआला ही जानता है, वह ग॒नाह से बचा रहता है। फिर वह गुनाह कर बैठता-है और कहता है कि हे मेरे रब, मुझसे गुनाह हो गया, तू उसको क्षमा कर दे। फिर अल्लाह तआला कहता है: "क्या मेरा बन्दा यह जूनता . है कि उसका कोई रब है? जो गुनाह को बख्श देता है और गुनाह पर अजाब भी देता है। मैंने उस बन्दे को बख़्श दिया। उसका जो जी चाहे करे। - बुखारी, मुस्लिम

७. हजरत अनस .रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: “मैं जमीन वालों पर उनके गनाहों के कारण किसी समय अजाब (यातना) उतारने का इरादा करता हूं किन्तु जो लोग मेरे घरों (मस्जिदों) को आबाद रखते हैं और रात के पिंछले हिस्से में क्षमा-याचना किया करते हैं उन्हें देखकर अजाब का इरादा त्याग देता हूं और अज़ाब को धरती वालों से लौटा देता हूं। --बैहकी

८. हजरत इब्न अब्बास रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला ने नेकियां और बुराइयां_ लिख दी हैं फिर उन नेकियों और बुराइयों को अपनी किताब में भी लिख दिया है। अतः जो व्यक्ति किसी नेकी का दृढ़ संकल्प कर ले किन्त बह नेकी वह व्यक्ति कर सके तब भी अल्लाह तआला उसकी एक पूरी नेकी लिख देता है। और यदि संकल्प के बाद वह नेकी कर भी ले तो फिर अल्लाह तआला उसके लिए दस नेकियों

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से लेकर सात सौ तक बल्कि उससे भी ज़्यादा लिंखता है। और जो व्यक्ति किसी बुराई का इरादा करता है किन्तु उसको करता नहीं, तो उसके लिए भी अल्लाह तआला एक पूरी नेकी लिख देता है और यदि बुराई का इरादा करके वह व्यक्ति बुराई और गुनाह कर लेता है तो अल्लाह तआला केवल एक गुनाह लिखता है। | - बुखारी, मुस्लिम : __*९. हजरत अबू हुरैरह रजि० से रिवायत है कि नबी सल्‍्ल० ने कहा कि जब कोई बन्दा गुनाह का इर्रादा. करता है तो अल्लाह तआला फ़रिश्तों को हुक्म देता है: ''जंब तक वह व्यक्ति कोई गुनाह करे तब तक केवल इरादे के कारण उसके कर्म-पत्र पर कोई गुनाह लिखा जाय और यदि उससे गुनाह हो जाय तो केवल एक गुनाह लिखा जाय। और यदि वह अपना इरादा मेरे भय से त्याग दे तो उसके कर्म-पत्र में एक नेकी लिख दी जाय और यदि वह किसी नेकी का इरादा करे तो यद्यपि वह बन्दा वह नेकी करे नहीं तब भी केवल इरादे के कारण उसके कर्म-पत्र में एक नेकी लिख दो। और यदि संकल्प के बाद बन्दा वह नेकी कर ले, तो दस नेकियों. से सात सौ नेकिय्रां तक उसके कर्म-पत्र. में लिखो।*' - बुखारी, मुस्लिम

१०. हजरत अबू हुरैरह रजि० से यह भी रिवायत है कि अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: “जब मेरा बन्दा इरादा करता है और अपने दिल में . किसी नेकी करने का खयाल लाता है, तो जब तक वह नेकी करे मैं एक नेकी उसके कर्म-पत्र.में. लिख देता हूं। और जर्ब॑-वह नेकी कर लेता है तो मैं उसकी-ने की को दस गुना-करके लिखता हूं। और जब कोई बन्दा किसी गुनाह का इरादा करता हैं तो जब तक वह

र्८

गुनाह करे मैं उसको क्षमा कर देता हूं। और जब वह गुनाह कर लेता है तो मैं. एक गुनाह को एक ही गुनाह लिखता हूं। और यदि वह गुनाह करे केवल इरादा करके अपने खयाल को त्याग देः तब भी: मैं एक नेकी लिखता हूं, क्योंकि उसने गुनाह को मेरे भय से त्याग दिया। - मुस्लिम

११. हजुरत अब्दुल्लाह इंब्न उमर राजि० से; रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍्ल० नेः कहा कि अल्लाह तआला कियामत में. मोमिन (आस्थावान). को अपने करीब करेगा और उसे अपने पहलू

में ले लेगा। और उससे उसके गुनाहों का इकरार करायेगा औरः * पूछेगा : "क्या तूने- वह और वह गुनाह किये. थे?”” बन्दा कहेगा कि हां मेरे रब, मैंने येः कर्म किये थे और यह बन्दा अपने दिल में * खयाल करेगा कि मैं तबाह 'हो गया। अल्लाह तआला कहेगा: , “मैंने दुनिया में तेरे ऐबों को ढांके रखा और आज भी मैं तुझे बड़श दूंगा। फिर उसका कर्म-पत्र उसके दायें हाथ में दे दिया जायेगा और कांफिरों और मुनाफिक़ों (धर्म विरोधियों और कपटाचारियों) के सम्बन्ध में खुल्लमखुल्ला घोषित किया जायेगा कि ये बे लोग हैं जो अल्लाह तआला पर थोपकर झूठ बोले थे। जान लो कि अल्लाह की फिटकार है ऐसे अत्याचारियों पर। . - अंहंमद, बुखारी, मुस्लिम, नसई, इब्त माजह

१२. हजरत - अनस रजि० से रिवायत है कि नबी सलल० ने कहा कि जब कोई बन्दा कहता है कि हे; मेरे रब, हालांकि वह गुनाह कर चुका-होता है, तो फरिश्ते कहते हैं कि हे रब, यह इसके योग्य नहीं है। किन्तु अल्लाह तआला कहता है: ''मेरे लायक तो यह बात है कि मैं इसे बख्श दूं। -तिरमिजी

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अल्लाह के लिए प्रेम और अल्लाह के लिए वैर

१. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि कियामत के दिने अल्लाह: तआला कहेगा: “कहां हैं वे लोग जो लोग मेरे प्रताप और प्रतिष्ठा के कारण आपस में एक-दूसरे से प्रेम किया करते थे? आंज मैं उन्हें अपनी छाया में रखूंगा। आज मेरी छाया के अतिरिक्त कहीं कोई छाया नहीं। - मुस्लिम, बुखारी, मालिक

२. हजरत इरबाज बिन सारियह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: "मेरे प्रताप एवं प्रतिष्ठा के कारण परस्पर प्रेम करने वाले उस दिन अर्श (ईश सिंहासन) की छाया में होंगे जिस दिन मेरी छाया के अतिरिक्त कहीं कोई छाया होगी।”' - अहमद

३. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि यदि एक व्यक्ति पश्चिम में हो और दूसरा पूर्व में और ये दोनों आपस में अल्लाह के लिए प्रेम करते हों, तो अल्लाह तआला इन दोनों को कियामत के दिन एक जगह करके (हर एक से) कहेगा: "यह है वह व्यक्ति जिससे तू प्रेम करता था।” - बैहकी

४. हजरत मआज बिन जबल रजिं० से रिवायत है। वे कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सलल० को यह कहते सुना है कि अल्लाह तआला कहता है: "मेरे प्रेम के पात्र बही लोग हैं जो मेरे

३०:

कारण आपस में प्रेम करते थे! और मेरे ही कारण आपस में उठते-बैठते थे। और मेरे ही कारण एक-दूसरे के पास मिलने और दर्शनार्थ जाया करते थे। और मेरे ही कारण एक-दूसरे पर अपना माल खर्च करते थे।” - मालिक

५. हजरत अबू हुरैरह राजि० से रिवायत है कि नबी सलल० ने कहा कि जब अल्लाह तआला किसी बन्दे से प्रेम करता है तो हजरत जिब्नील अ० से कहता है: “हे जिब्नील, मैं अमुक व्यक्ति से प्रेम करता हूं तुम भी उससे प्रेम करो।”'

हजरत जिब्नील अ० उससे प्रेम करते हैं। फिर हजरत जिब्नील अ० आकाशों में घोषणा करते हैं कि अल्लाह तआला कहता है “'मैं अमुक व्यक्ति से प्रेम करता हूं। हे आकाश वालो, तुम भी उस बन्दे से प्रेम -करो। हे

अतः आकाश के रहने वाले भी उससे प्रेम करने लगते हैं। फिर धरती में उसकी लोकप्रियता फैला दी जाती है।

और जब अल्लाह तआला किसी बन्दे से अप्रसन्‍न होता है तो हजरत जिब्रील अ० से कहता है: "हे जिन्नील, मैं अमुक व्यक्ति से नफरत करता हूं। मुझे उससे वैर है। तुम भी उससे वैर रखो।

हजरत जिब्रील अ० उस व्यक्ति से वैर रखते हैं। फिर आकाशों में घोषणा करते हैं कि अमुक व्यक्ति से अल्लाह तआला को बैर है। हे आकाशवालो, तुम भी उससे नफ़रत करो और उससे वैर रखो।

अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि आकाशवालें भी उससे वैर रखने लगते' हैं। फिर धरती में उसके प्रति नफ़रत और अदावत फैला दी जाती है। - मुस्लिम

३१

मुसीबत में घैर्य का महत्व

१, हजरत अनस रजि० कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सलल०.को यह कहते हुए सुना कि अल्लाह तआला कहता है : '“मैं अपने बन्दे की दो प्यारी चीजें लेकर उसे परीक्षा में डालता हूं और बह धैर्य से काम लेता है, तो मैं उनके बदले में उसे जन्नत देता हूं। - बुखारी

२. हजरत अबू मूसा अशअरी रंजि० से रिवायत है कि नबी सलल्‍ल० ने कहा कि जब किसी बन्दे का बेटा मर जाता है तो अल्लाह तआला फ़रिश्तों से पूछता है: “तुमने मेरे बन्दे के बच्चे

की रूह ग्रस्त की?” फरिश्ते इसका उत्तर हां में देते हैं। अल्लाह कहता है: “तुमने उसके दिल का फल तोड़ लिया?” फरिश्ते फिर इसका उत्तर हां में देते हैं। बह कहता है: 'इस पर मेरे बन्दे ने क्या कहा?” फरिश्ते कहते हैं कि तेरे बन्दे ने तेरी प्रशंसा की, अल्हमदुलिल्लाह* कहा और इन्हा लिल्लाहि इन्ना इलैहि राजिकन * पढ़ा। अल्लाह तआला कहता है: ''मेरे-इस बन्दे के लिए जन्नत में एक घर बना दो और उसका नाम बैतुलहम्द रखो। - तिरमिजी, अहमद

३. हजरत अबू हुरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: "मेरे उस :

हु १. सब प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है। २. हम अल्लाह ही के हैं और हमें अल्लाह ही के पास लौटकर जाना

है। ३२

बन्दे के लिए मेरे पास जन्नत से कम कोई बदला नहीं हैं कि मैं... दुनिया वालों में से उसके घनिष्ठ मित्र को उठा लूं और वह इस पर

मेरे लिए सब्न, करे।/ /.. “॥#. , ७४ # बुखोरी -

४. हजरत सह्द बिन औस रजि० कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० को यह कहते हुए सुना है कि प्रतापवान अल्लाह

कहता है: “मैं जब अपने मोमिन बन्दों में से किसी बन्दे को किसी . ,..

आजूमाइश में डालता हूं और वह मेरी तारीफ़ करता है, वह अपने बिस्तर से खताओं से ऐसा पाक-साफ होकर खड़ा- होता है जैसे उसी दिन उसकी. माता ने उसे जन्म दिया।” और बरकंतः वाला महान रब (फ्रिश्तों से) कहता है: “मैंने अपने बन्दे को बीमारी . - के कारण रोक दिया है और वह. वे कर्म नहीं कर सकता. जो, वह करंता रहा है किन्तु तुम उसके लिए वह सवांब लिखते (रहो ज़ो. उसके स्वास्थ होने की हालत में लिखते रहे हो।“” -, अहमद

बीमारपुर्सी का महत्व

१. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कियामत के दिन (किसी बन्दे से) कहेगा: "हे आदम के बेटे, मैं बीमार हुआ तूने मेरी बीमारपर्सी नहीं की।” वह बन्दा कहेगा कि हे रब, मैं तेरी बीमारपर्सी कैसे करता त्‌ तो सारे जगत्‌ का रब है? वह कहेगा "क्या त्‌ नहीं जानता था कि मेरा अमुक बन्दा बीमार है तूने उसकी बीमारपूर्सी नहीं की ? क्या तू नहीं जानता था कि अगर तू उसकी बीमारपुर्सी करता, तो अवश्य ही तू मुझे उसके-पास पाता। है आदम के बेटे, मैंने तुझसे खाना मांगा लेकिन तूने मुझे खाना नहीं खिलाया।”” बन्दा कहेगा-हे रब, मैं तुझे खाना कैसे खिलाता त्‌ तो जगत का रब है। बह कहेगा: "क्या तुझे नहीं मालूम कि मेरे अमुक बन्दे ने तुझसे खाना मांगा लेकिन तूने उसे खाना नहीं खिलाया। क्‍या तूने यह बात जानी कि अगर तूने उसे खिलाया होता, तो उस (के सवाब) को मेरे पास पाता। है आदम के बेटे, मैंने तुझसे पानी मांगा लेकिन तूने मुझे पाती पिलाया।” बन्दा कहेगा--हे रब, मैं तुझे कैसे पानी पिलाता तू तो सारे जगत्‌ का रब है। वह कहेगा: ''मेरे अमुक बन्दे ने तुझसे पानी मांगा लेकिन तूने उसे पिलाया। अगर तू उसे पानी पिलाता तो उस (के सवाब) को मेरे पास पाता। - मुस्लिम

२: हजरत. अबू हरैरह राज० से रिवायत है कि नबी सल्‍ल० ने कहा कि जब कोई मुसलमान अपने किसी धीसार भाई की

इ्ड

बीमारपुर्सी करता- है याः उससे मुलांकांत-करेंतां हैं तो अल्लाह / तआलों कहता/है : ''तुझें मुबारक हो और तेरा यहं चलना मबांरके:. :

है। तूने: अपना घर जन्नतें”में बना लियो”” - तिरमिजी .. -३: हजरंत-अबूं हरैरंह रजि०-से रिवॉयत है कि'नबी सल्ले० एकःबीमार की बीमारपुर्सी-के लिए गये (जोःज्वर से पीड़ित था) - आपने :कहा-तुझे खुशखंबरी हो। अल्लोहःतआलों कहता है: "यह : ज्यर मेरी आंग है। मैं अपने मोमिन बन्दे पर में देता: हूं-ताकि दोजखः की आग का बदलो. हो-जाय॑ और कियामत में: * उसको“आंगे की 'तकलीफ हो”

+* ७८

- अहमद," इब्न *माजह, बैहेकी: कप

मस्लिम समदाय की महानता

१. हजरत इब्न उमर रजिं० से रिवायंत हैं कि नबी सल्‍ल० ने कहा कि तुम्हारी ज़ीवत-अवधि पिछले समुदायों की अपेक्षा- ऐसी है जैसे अस्र के समय से सूर्य डूबने तक का समय होता है। और : यहदियों और ईसाइयों के मुकाबले में तुम्हारी मिसाल ऐसी है, जैसे . किसी व्यक्ति ने कछ मजदूरों को काम पर लगायां और कहा कि “कौन. दोपहर तक. एक-एक कीरात पर काम करेगा? अतएव यहूदियों ने दोपहर तक एक-एक कीरात पर काम किया। फिर उसने कहा, कौन हैं जो अस्र के समय तक एक-एक कीरात पर काम करे? सो ईसाइयों ने दोपहर से लेकर अस्र के समय तक काम ._ ढिया। फिर उसने कहा कि कौन है जो अस़॒ से सूर्यास्त तक दो-दो

. कीरात के बंदले में मेरा काम करेगा? जान लो कि ये तुम (मुस्लिम .

- लोग) हो, जिन्होंने असर से सूर्यास्त तक कार्य किया। सुंन.लो, '

तुम्हारे लिए दोहरा बदला है। इस पर यहूदी और ईसाई बिगड़

गये और कहा कि हमारा कार्य अधिक है" और मजुदूरी कम है।

* अल्लाह ने कहा: “क्या मैंने तुम्हारे साथ कोई अन्याय किया है कि

तम्हारे हक में कोई कमी की हो।'' उन्होंने कहा कि नहीं। अल्लाह ने कहा: "फिर यह तो फ़ज़्ल (अनुग्रह) है जिसे चाहूं प्रदान करूं।

- बुखारी

२. हजरत अबू मूसा रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के * रसूल सल्‍ल० ने कहा कि मुसलमानों, यहूदियों और ईसाइयों की मिसाल ऐसी है कि जैसे एक व्यक्ति ने एक कौम को.निश्चित

मजुदरी पर रात तक के लिए कार्य पर लगाया। उस कौम के लोगों इ६

ने दोपहर तक उसका काम किया। फिर कहने लगे-हमें तुम्हारी

मजदरी की जरूरत नहीं जो तुमने हमारे लिए निश्चित की थी।

: और हमने जो कुछ काम किया अकारथ हुआ। उसने कहा: ' ऐसा करो, अपना शेष कार्य पूरा कर लो और अपनी पूरी मजदूरी ले लो। उन्होंने इनकार किया और काम छोड़कर चले गये। उनके बाद उसने दसरे लोगों को मजुद्री पर लगाया और कहा कि तुम शेष दिन परा काम कर दो, जो मजुद्री मैंने उनके लिए निश्चित की थी वह तम्हें मिलेगी। उन्होंने काम किया, यहां तक कि जब . असर की नमाज का समय हुआ तो बोले कि-हमने तुम्हारा जो काम किया, वह .अकारथ हुआ और तुमने जो मजदूरी हमारे लिए निश्चित की थी और हमने तुम्हें छोड़ दिया। उसने कहा अपना शेष काम पूरा कर दो, बस अब तो बहुत थोड़ा वक्‍त रह

“गया है।” उन्होंनें इनकार किया। फिर उसने दूसरे लोगों को मजदरी पर लगाया जो शेष दिन कार्य करें। उन्होंने कार्य किया और दोनों गरोहों की पूरी मजदूरी भी ले ली। यह है मिसाल _ उनकी और मिसाल उस प्रकाश की जिसे उन्होंने स्वीकार किया।

. - बुखारी

३७

आपके सहांबा (साथी) रोज़ि०

१.हजरत ब्रीदह रजि० से रिवायत है:क़ि अल्लांह-के;रंसूल «

हर २. हजरत अंनस .बिंत ,मालिक़ रज़िं5 से 'रिवार्यत है/कि | :-- अल्लाह के रसूल.सल्ल० ने बबैय:बिन-कअब रजि० से कहाःकि * - * अल्लाह तआला ले मुझको (हुक्म |दिया है कि मैं तुम्हें कुरआन, "

- पढ़क़र सुनाऊं। उन्होंने कहाकि कया अल्लाह ने मेरा नाम लेकर.

आपसे. कहां है? आपते कहा ःकि.हां, तुम्हारा. नाम लेकर :मुझसे कहा है। .यह सुनकर -वंबैय पबन- कंश्ब रोने लग्रे॥ मुस्लिम, .'

हे १. अर्थात अल्लाह ले ज़िन लोगों से मुझे प्रेम करने का हुक्म दिया है . उनमें ये चार व्यक्ति शामिल हैं।

हैंड...

ि ्‌ ऐसी हैं जैसे खूद अंल्लाह की श्रेठता उसकी पैदा की चीजों, के मुकाबले में हैं। - तिरमिजी, बैहकी-शोअबउलईमान .

उसी तरंह संभाल , तरंह दुनिया में संभाल-संभाल कर पढ़ते थे,

स्थान तुम्हारी तिलावत (पठन) की आदिरी |, -“ तिरमिजी,- अबू दाऊद, इब्न माजह

नमाज

१. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के . रसूल सलल० ने कहा कि तुम में रात और दिन के फरिश्ते आगे और पीछे आते रहते हैं और फुज़ और अश्न की नमाज में उनका : सम्मिलन होता है। फिर जो फरिंश्ते रात को तुम्हारे साथ रहते हैं बे आसमान पर चले जाते हैं। अल्लाह तआला उनसे पूछता हैः. “तुमने मेरे बन्दों को किस हाल में छोड़ा?” वे कहते हैं जब हम _ उत्तके पास गये तो बे नमाज पढ़ रहे थे और जब उनको छोड़कर आये तब भी उन्हें नमाज पढ़ता हुआ छोड़कर आये। .

. - बुखारी, मुस्लिम

२. हजरत अबू हरैरंह रजि० कहते हैं कि मैंने. अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० को यह कहते हुए सुना कि कियामत के दिन सबसे पहले बन्दे'से जिस चीज-का हिसाब लिया जायेगा वह नमाज है। अगर नमाज ठीक निकली तो वह सफल होगा और छुटकारा पा जायेगा औरं अगर नमाज, में खराबी निकली तो वह असफल हुआ * और घाटे में पड़ा। फर्ज की अदाग्रगी में अगर उससे कोताही हुई होगी तो प्रतापवान रब कहेगा: “देखो, मेरे बन्दे के पास कछ नफूल नमांजें हैं?”' यदि हैं तो फर्ज की कमी को-उन नफ़्ल नमाजों के द्वारा पूरी कर दी जायेगी। फिर उसके तमाम कर्मों के साथ भी यही मामला होंगा।

“- तिरमिजी, अबू दाऊद, नसई, अहमद, इब्न माजह

३. हज़रत उक्बह बिन- आमिर रजि० कहते है कि. मैंने

हर ४0 '

अल्लाह के रसल सल्‍ल० को यह कहते,हुए सुना कि तुम्हारे रब को पहाड़ की चोटी पर भेड़े चराने वाला. वह. चरवाहा बहुत भला और अच्छा लगता है जो (नमाज के समय- वहां) अजान देता है और नमाज पढ़ता है। अल्लाह तआला कहता है: ' मेरे इस बन्दे क़ो देखो, वह अजान देता है और नमाज कायम करता है, मुझसे. : डरता है। मैंने अपने बन्दे को बख्श दिया और उसे जन्नत में दाखिल कर दिया। | . - नसई

४, हजरत अर्ब्दरहमान बिन आइश और इब्न अब्बास और म॒आज बिन जबल रजि० कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने . कहा कि मैंने अपने प्रतापवान रब को सपने में बहत ही अच्छी सरत में देखा। उसने कहा: ''ऐ मुहम्मद, क्या तुम जानते हो कि _ मलये आला (उंचे दरबार वाले फरिश्ते) किस बात में झगड़ रहे . हैं?” मैंने कहा हां, गनाह को दूर करने वाली चीजों के विंषय में - और गुनाह को दूर करने वाली चीजें ये हैं-मस्जिद में नमाज-के बाद ठहरा रहना और जमातों के लिए पैदल चलना और नागवार हालतों में पूरा-पूरा वुजू करना और जिसने ऐसा किया वह भलाई के साथ जिया और भलाई के साथ मरा औरं वह अपने में ऐसा ' पाक हो जायेगा जैसे आज ही उसकी मां ने.उसे जन्म दिया। और अल्लाह ने कहा: ''ऐ महम्मद, जब तुम नमाज पंढ़ लो, तो यह दुआ

पढ़ो। हे अल्लाह, मैं तुझसे मांगता हूं कि मैं अच्छे कर्म करूँ और . | न्‍

बुराइयों को छोड़ दूं और मोहताजों से प्रेम करूँ और जब तू अपने

बन्दों को फ़ित्ने में डालने का इरादा करे, तो मुझे अपनी तरफ़

: उठा ले इस हालत में कि मैं फिलने में पड़ा हुआ हूं। और अल्लाह

ने कहा: “और ऊंचे दर्जों की चीजें. ये हैं-सलाम को फैलाना .

(रिवाज देना), खाना खिलाना और रात में नमाज पढ़ना जबकि

“लोग सो रहे हों।” - मसाबीह, शरहुसं-सुन्नह . ४१

“स्स 'नेःकहा कि अल्लाह ओला कहता ह् ने 3 बली: (प्रिय व्यक्त) से श्मनी की

लूँगा। और मुझे किसी कास

. मुझे 'करना है उततेनी हिचकिचीहंट नहीं होती गितनी हिंचक्रिचाहंट..._ ' मुझे मोमिन की जान कंब्जु करने में होती 'है। बह मौत को . नापसंत्द करता है और मुझे उसे कोई तंकलीफ़ देनी, पसन्द नहीं और मौत. उसके लिए एक अटंल चीज :हैं। '- बखारी

६. हजरत अबू हरैरह रॉजं० कहते' हैं कि मैंने अल्लाह के | * रसूल सल्ल० को यह कहते हुए सुना कि अल्लांह तआलो, कहता है: "नमाज मेरे और मेरे बन्दे के बीच आधी-आधी तक़्सींम .है। आधी नमाज मेरे लिए और आधी मेरे बन्दे के लिए है और मेरे बन्दे को बह मिलेगा जो .वंह मांगेगा। '' जब बन्दा कहता है 'सारी : प्रशंसा अल्लाह के लिए है जो सारे संसार का रब है' तो अल्लाह तओला कंहंतां है कि: “मेरे बन्दे ने. मेरी प्रशंसा की (और मेरा . शुक्र अदा कियां)”: और जबं-वह कहता है 'जो कृपांशील और डर हे

-दयावान हैं -तो अल्लाह कहता है कि: “मेरे बन्दे ने मेरी सराहना

' 'की।! और जेब वह:कहता है 'उस दिन का मालिक है जब कर्मों. :

का बदला दिया जायेगा” तो अल्लांह:कहता- है कि: “मेरे बन्दे ने . 'मेरी बड़ाई और महानता “बयान की।” और जंब वह 'कहता है -

. .'हम तेरी: ही:इबादत करते हैं और तुझसे ही मददःमांगते हैं तो"

' "अल्लाह कहता:है कि: "यह मेरे और मेरे बन्दे के बीच सम्मिलित .

रूप से है। और:मेरे बन्दे को.बह चीज मिलेगी जो उसने मांगी।

और'“जब वह कहता हैं 'मुझे सीधा मार्ग दिखा उन लोगों :का मार्ग - “ज़ो तेरे कृपा-पात्र हुए जो प्रकोप-ग्रस्तं हुए और गुमराह हए तो अल्लाह कहता है कि: 'यह'मेरे बन्दे के लिए है और मेरे बन्दे “की वह चीज मिलेगी जो उसने -मांगी।”/ : मुस्लिम, अबू दाऊद, नसई, इब्न माजह, तिरंमिज़ी

७. हज़रत अबू हुरैरह रंजि० से रिवायत' है|कि अल्लाह.के .

“रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: 'हे आद्रम के

«बेटे, तू मेरी इबादत के लिए फूर्सत निकाल, तो मैं तेरें सीने (दिल:

) बेपर्वाई (बेनियाजी) से भर दूंगा। तेरी मोहताजी को रोक दूंगा...

वरना तेरे हाथों को कार्य की अंधिकता से भर दूंगा और तेरी - मोहताजी को नहीं रोकंगा। -“ तिरमिजी, बैहकी

८. हजरत अबू दरदा रंज० और हजरत अबू जर रजि० से . ' रिवायत है (कि अल्लाह के रसूल सलल्‍्ल० नें कहा कि अल्लाह तआला-कहता है: ''ऐ आदम के बेटे, मेरे लिए दिन के आरम्भ में चार रंकअत (नमाज) पढ़ तो मैं दिन के आख़िर तक तेरी जरूरतों के लिए काफ़ी हो जाऊंगा।'- तिरमिजी, अबू दाऊद, अहमद

डे

रोजा और ईद

१. .हजुरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजि०. से रिवायत है कि अल्लाह' के रसूल सलल्‍ल० ने कंहा क्रि अल्लाह तआला कहता हैः'

- “रोजा एक ढाल है। उस ढाल से बन्दा दोजूख की आग से बचाया. - जाता है।. रोजा मेरे लिए है और मैं ही उसका बदला दुंगा।” ...

-' अहमद, बैहकी

२. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के « रसूल सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: ''बन्दों में से : वहं बन्दा मुंके सबसे अधिक प्रिय है जो रोजा खोलने-में जंल्दी ' करता है)” -- अहमद, तिरमिजी - ३. हजरत अबू हुरैरह रजजि० से रिवायत है कि नबी सलल्‍ल० ने - * “कहा कि अल्लाह तआला-कहता है: “रोजा मेरे लिए है और मैं ही “उसका बदला दंगा। बन्दा अपनी कामेच्छा को और अपने खाने-पीने को मेरे लिए छोड़ देता है। रोज़ा एक ढाल है और रोजेदांर के हिस्से में दो खूृशियां हैं। एक खुशी तो उसे उस समय - मिलती है जब वह रोजा खोलता है और एक खुशी उसे उस समय होगी जब वह अपने रब से मिलेगा। रोजेंदार के मंह की . “अल्लाह के यहां कस्तूरी की खुशबू से ज्यादा बेहतर है।” :- बुखारी, मुस्लिम, मालिकं, तिरमिजी, नसई, इब्न माजह ४. हंजरत अबू हंरैरह रजि० से रिवायत है कि नबी सल्‍ल० ने कहा कि आदम के बेटे के हर अमल (कार्य) का सवाब दस गने से . सात सौ गुना तक बढ़ाया जाता है। अल्लाह तआला कहता है : “मगर रोजे की बात और है क्योंकि रोजा मेरे ही लिए है और मैं है 2

ही उसका बदला दंगा। बंन्दा अपनी कामेच्छा और अपने खाने को .

. मेरे लिए छोड़ देता है। रोजेदार के लिएं दो खूशियां हैं, एक खूशी

तो रोजा खोलने के वक्‍त होती है और एक. अपने रब से मुलाकात : . करते वक्त होगी। और रोजेदार के मुंह की बू अल्लाह की निगाह में मुश्क की बू से ज़्यादां बेहतर है। अंतः जब तुममें से किसी के. रोजे का दिन हो, तो तो अश्लील बात .जूबानं पर॒लाये और न॒. शोर मचाये। और अगर कोई उसे गाली दे या लड़े तो कह दे कि . मैं रोजे से हूं।! : . :. 7, बुखारी, मुस्लिम ५. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायंत है कि नबी. सल्‍ल० ने कहा कि तीन व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी दुआ रह नहीं की जाती, एक . रोजादार जब वह रोजा खोले, दूसरा न्‍्यायशील इमाम (हाकिम), तीसरा जिस पर जुल्म हुआ हो। उसकी दुआं को जिस पर जुल्म _ * हुआ हो, अल्लाह तआला बादलों के ऊपर उठा लेता है और “आसमान के द्वार मजूलूम की दुआ के लिए खोल देता है।. और ' . , कहता है: "मुझे अपनी इज़्जत की कुसम, मैं तेरी मदद करूंगा, . यद्यपि यह मदद कुछ समय के बाद हो। - तिरमिजी ६. हजरत अनस रजि० से रिवायत है कि नबी सल्‍ल० ने कहा कि 'लै लतुल क॒द्र' (रमजान की एक शुभ रात्रि) में हजरत जिब्बील ._ अ० फ्रिश्तों की एक जमात के साथ उतरते हैं और जो बन्दे

अल्लाह तआला के जिक्र में लगे होते हैं चाहे वे खड़े होकर जिक्र."

कर रहे हों या बैठकर, ये फ़रिश्ते उनके लिए रहमत की दुआ - करते हैं। फिर जब उनके ईद (ईदुलफित्र) का दिन अर्थात उनके - रोजा खोल देने का दिन होता है, तो अल्लाह तआला अपने बन्दों के कामों पर गर्व करता हुआ फरिश्तों से कहता हैः .-ऐ मेरे फुरिश्तो, जब कोई मजदूर अपना काम पूरा कर ले तो उसका ' बदला क्‍या है?” वे कहते हैं हमारे रब, उस मजदूर का बदला , है. 2.4

- . यह है.कि उसे उसकी पूरी मजदूरी दे दी जाय] अल्लाह कहता है . “मेरे फुरिशंतो; मेरे गुलामों और मेरी. लौंडियों ने मेरा फर्ज जो उन. .पर था अदा कर:दिया.फिंर दुआ:के शब्द पुकारते-हुए निंकले। मुझे .

मेरी. इज़्जत, मेरे-प्रताप और मेंरी-उदारताःऔर शराफ़त और मेरी...

उच्चता और :मेरे-ऊंचे:मरतबे-की कसम; निश्चय :हीः मैं:इनकी “* दुआ को' कूबूल:कहूंगा।” फिर 'वह5कहता हैः 'लौट-जाओ मैंने .. तुम्हें: बंखश...दिंया और -तुम्हारी “बुराइयों *कोः नेकियों - से+ बदल दियो१:” आप्र-सल्ल० कहते. हैं; कि 'वे ;इसः हाल: में लौटते हैं (कि - « बल्शिश:.हो/चुकी:होती"हैं।.. *- बैहंकीं-शोअंबउलईमान

करूगा।

२. हजरत, अबू मसऊंद' अंसारी. रजि० :से .रिवाग्नत.

अल्लाह, के; रसूल, सलल० ने कहा, कि तुमसे पहले के कर ही

; गा और बूंह खुशहांल था, बह .

' अपने, गूलामों- से कहा. करता : करो। आपने कहा. कि अल्लाहने कहा: "हमें तुमसे क़हीं बढ़कर

दरगुजर से काम लेने.का हक है। (उसने फ़रिश्तों को हुक्म.दिंया.; .

'कि) इस. व्यक्ति से दरगुज़र करो।” - मुस्लिम, बखारी; नसई . . . ३. हजरत, अबी, बिन.हातिम(रजि० कहतें हैं कि मैं अल्लाह.के; - ' रसूल सल्ल० के .पास था। दो, आदमी ,आये। उनमें से एक ..

तंगदस्ती, और मोहताजी की शिकाग्रत कर्‌ रहां, था और दूसरा...

तंगद॑स्तों से दरगुज़र किया ....

रास्तों में डाकाज़नी क्री शिकायत कर रहा था।, अल्लाह के रसल. 2

- सल्ल॒०, ने कहा कि,जहां तक रास्तों की डाक़ाजनी का;मामला हैं... : तो ग्रह तुम्हारे लिए बस थोडे दिनों क़ी बात है यहां तक कि एक. -

- दिन आयेगा.कि .काफिला बिना किसी. निगंहब्रान के मक्का तक

सफर करेगा।. और्‌ रही बात तंगदस्ती और .मोहताजी की, तो

ड्छ

“कियामत नहीं कायम होगी यहां तक कि तुममें कां एक व्यक्ति . अपना सदका लिये फिरेगा और कोई उसका५सदका कुबूल करने वाला उसे मिलेग्रा। फिर तुममे का एक शद्स (कियामत के दिन) अल्लाह के सामने इस तरह खड़ा होगा कि उसके और अल्लाह के दर्मियान कोई पर्दा होगा। और न्‌.कोई तर्जुमान (प्रवक्ता) होगा जो उसकी तर्जुमानी करे। फिर अल्लाह उससे कहेगा: “क्या मैंने तुम्हें माल (धंन-दौलंत॑): नहीं दिया था?” बह कहेगा क्‍यों नहीं, दिया तो था। फिर अल्लाह उससे कहेगां: “क्या . मैंने तुम्हारे पास रसूल नहीं भेजा था? वह कहेगा क्यों नहीं भेजा तो था। फिर वह अपनी दाहिनी ओर देखेगा, तो आग के सिवा उसे कुछ दिखायी नहीं देगा। फिर वह अपनी बायीं ओर देल्लेगा, तो आंग ही उसे दिखायी देगी। अतः तुममें से हर एक आग से बंचने की कोशिश करे चाहे खजूर के एक टकड़े के द्वारा ही सही। अगर यह भी उसे प्राप्त हो, तो कोई अच्छी बात कहकर ही।

- बुखारी

हज

१. हजरत अबू सईद खूुदरी रजि० से रिवायत है कि अंललाह के रसल सलल्‍ल० ने कहा कि तेजोमय प्रतापवान अल्लाह कहता है "जैंने बन्दे को शारीरिक स्वास्थ्य दिया और उसे रोजी में कशादगी दी, पांच वर्ष गुजर गये और वह मेरी तरफ नहीं आया. तो वह बेनसीब है। - बऔैहकी

२. हजरत आइशा रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सलल्‍ल० ने कहा कि कोई ऐसा दिन नहीं है जिसमें उससे अधिक लोग दोजख से आजाद किये जाते. हों जितना 'अरफ़ह”' के दिन आजाद किये जाते हैं। अल्लाह अपने बन्दों से बहुत करीब हो जाता है और अपने फरिश्तों के सामने गर्ब करता है और कहता है: "इन लोगों का इरादा क्‍या है?” - मुस्लिम

३. हजरत जाबिर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि जब 'अरफ़ह' का दिन होता है, तो अल्लाह दुनिया के आसमान (करीबी आसमान) की तरफ़ अवतरित होता है। फिर हाजियों पर फ्रिश्तों के सामने गर्व करता है और कहता है: ''देखो, मेरे बन्दों की तरफ़ कि वे मेरे पास इस हाल में दूर-दूर से आये हैं कि उनके बाल बिखरे हुए और धूल से अटे हैं और (मुझे) पुकार रहे हैं। मैं तुम्हें _स पर गवाह बनाता हूं कि मैंने इनको बख्श दिया।” फ़रिश्ते कहते हैं कि रब, फ़लां व्यक्ति गुनाहगार है और फ़लां औरत और मर्द भी। अल्लाह के रसूल

१. जिलहिज्जा के महीने की नवीं तारीख। है 3

सलल० कहते हैं कि अल्लाह तआला कहता है: "मैं तो इन्हें बछुश चुका।” अल्लाह के रसूल सल्‍ल० कहते हैं कि 'अरफ़ह' के सिवा कोई और दिन ऐसा नहीं है जिंसमें इस दिन से बढ़कर बड़ी संख्या में लोग दोजख से आजाद किये जाते हों। - शरहुस-सुन्नह

४०

जिहाद

१. हजरत इब्न उमर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसल सल्ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: ''मेरे बन्दों में से जो बन्दा अल्लाह की राह में जिहाद के उद्देश्य से निकलता है मैं उसके लिए दो बातों की ज़मानत लेता हूं। अगर उसको बापस लाऊंगा तो उसको सवाब या गुनीमत के माल" के साथ वापस लाऊंगा। और अगर उसे कृब्ज॒ कर लूंगा (अर्थात मौत दे दूंगा), तो उसे बख्श दंगां और. उसे पर दया दर्शाऊंगा।” .-- नसई

२. हजरत अनस बिन मालिक रजि० से रिवायत है कि अल्लाह,के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि एक व्यक्ति जन्नत वालों में से लाया जायेगा। अल्लाह तआला उंससे कहेगा: "ऐ आदम के बेटे, तुमने अपना ठिकाना कैसा पाया?” वह कहेगा कि रब, . बहत ही अच्छा ठिकाना। अल्लाह कहेगा: “मांगो और अंपनी' कामना प्रकट करो।” वह कहेगा कि मेरी मांग यह है कि मुझे दनिया में लौटा दिया जाय कि मैं तेरी राह में दस बार कृत्ल किया जाऊं। यह बात वह शहीद होने की फ़जीलत और बड़ाई देखकर ' कहेगा। « + नसई

३. हजरत मसरूक राज० कहते हैं कि हमने या मैंने अब्दुल्लाह इब्न मसऊद राजि० से आयत “जो लोग अल्लाह की _

१. धर्मयुद्ध में शत्रु के जिस माल पर कब्जा होता है उसे गृतीमत.का माल कहते हैं।

राह में मारे मये उनको मुर्दा समझो बल्कि वे ज़िन्दा हैं अपने रब के पास रोजी पाते हैं” का मतलब पूछा। उन्होंने कहा हमने इसका मतलब (अल्लाह के रसूल सल्‍्ल० से) पूछा था, तो आपने कहा कि शहीदों की आंत्माएँ हरे रंग की चिड़ियों में रहती हैं। उनके लिए अर्श से लटकी हुई कंदीलें हैं। ये आत्माएं जन्नत में जहां चाहती हैं सैर करती फिरती हैं, फिर इन कंदीलों में वापस आकर ठहरती हैं। उनका रब उनकी ओर रुंख़ करके कहता है: ''तम किंस चीज की इच्छा रखते हो?” वे शहीद कहते हैं, हम किस चीज की इच्छा प्रकट करें जबकि हम जन्नत में जहां चाहते हैं जाते हैं? अल्लाह उनसे तीन बार इसी प्रकार का सवाल करता है। जब बे यह देखते हैं कि उनसे सवाल का सिलसिला जारी है, तो वे कहते हैं रब हम चाहते हैं कि हमारी आत्माओं को हमारे बदन में फिर लौटा दिया जाय ताकि हम तेरी राह में दोबारा कत्ल किये जायं। फिर ज़ब अल्लाह देखता है कि उनको किसी चीज की जरूरत नहीं है. तो उन्हें छोड़ देता है। - मुस्लिम ४. हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कंहां कि तुम्हारा रंब दो आदमियों से बहुत खूश होता है। एक तो वह आदमी जो अपने नर्म बिस्तर और लिहाफ़ से और अपनी प्यारी पत्नी के पास से नमाज के लिए उठा। अल्लाह अपने फ़रिश्तों से कहता है: ''मेरे बन्दे को देखो जो मेरे पास की चीजों (जन्नत और सवाब) के शौक में और मेरे ' पास की चीजों (दोज़ख और यातना) के डर से अपने फर्श और नर्म बिस्तर और अपनी प्रिया और पत्नी को छोड़कर अपनी नमाज - अदा करने के लिए उठा है।”

और दूसरा आदमी वह जिसने अल्लाह की राह में जिहाद किया और अपने साथियों के साथ दुश्मन के मुकाबले से भागः 4२

खड़ा हुआ, फिर उसने महसूस किया कि भागने 'में कितना गुनाह और लौटकर लड़ने में कितना सवाब है, तो वह लौट पड़ा और दश्मन से लड़ा यहां तक कि शहीद हो.गया। यह देखकर अल्लाह अपने फरिश्तों से कहता है: ''मेरे बन्दे को देखो, जो मेरे पास की चीजों (जन्नत और सवाब) के शौक में और मेरे पास की चीजों (दोजूख और यातना) के डर से (लड़ाई के मैदान में) लौट आया यहां तक कि अपनी जान दे दी।” - शरहस-सुन्नह

श्रे

लोगों के साथ

१. हजरत अबू हुरैरह राजि० से रिवायत है कि अल्लाह के 'रसूल सल्‍ल० ने कहा कि तीन आदमी ऐसे हैं जिनसे अल्लाह तआला तो बात करेगा और उनकी तरफ रहमत की नजर करेगा। एक वह व्यक्ति जिसने खरीदार से किसी माल पर झूठी कसम खाकर (ग्राहक से) कहा कि मुझे इस माल का इस कीमत से ज़्यादा मिल रहा था जो इस वक्त लगायी गयी। दूसरा वह व्यक्ति जो अश्न की नमाज के बाद झूठी कसम इसलिए खाता है कि इससे किसी मुसलमान का माल मार ले और तीसरा वह व्यक्ति जिसने जरूरत से बढ़कर पानी को रोक लिया। अल्लाह तआला कहेगा: 'पजैस तरह तुमने उस जरूरत से बढ़कर पानी को रोका जिसमें तेरी मेहनत का कोई दछल था, उसी तरह मैंने आज अपने फुज़्ल (कृपा) को तुझसे रोक लिया। ..._- बुखारी

२. हजरत अबू हरैरह रीजि० से रिवायत है कि नबी सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: “तीन आदमी ऐसे हैं जिनसे कियामत के दिन मैं झगड़ंगा। एक वह व्यक्ति जिसने मेरी कृसम खाकर वादा किया, फिर उसे तोड़ दिया। दूसरा वह व्यक्ति जिसने किसी आजाद आदमी को बेंचकर उसकी कीमत खा गया और तीसरा वह व्यक्ति जिसने एक मजदूर को मजदूरी पर लगाया और उससे पूरा-पूरा काम लिया लेकिन उसकी मजदूरी उसको नहीं दी। - बुखारी, इब्नमाजह, अहमद

३. हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ि० से रिवायत है वे

भर

कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्‍ल० को यह कहते सुना कि अल्लाह तआला कहता है: “मैं अल्लाह हूं और मैं रहमान हूं। मैंने रिश्तेन्‍नाते को पैदा किया और अपने नाम से उसका नाम निकाला। अतः जिस किसी ने उसको जोड़ा, मैं उसे जोडूंगा और जिसने उंसे तोड़ा मैं उसे विच्छिन्न कर दूंगा।” - अबू दाऊद ४, हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है.कि नबी सलल्‍ल० ने कहा कि एक व्यक्ति ने कोई अच्छा कर्म नहीं किया था, अलबत्ता बह लोगों को कर्ज (ऋण) दिया करता था। जब वह अपने आदमी को (तक़ाजे के लिए) भेजतां, तो कहता था कि जो आसानी से बसल हो जाय वह ले लेना। और जिसकी वसूली में मुश्किल पेश आये उसे छोड़ देना और दरगुज़र से काम लेना, शायद अल्लाह तआला हमसे भी दरगुज़र करे। जब उस व्यक्ति कां देहान्त हुआ तो अल्लाह तआला ने कहा: 'क्या तूने कोई नेक अमल किया है?” उसने कहा नहीं, अलबत्ता एक लड़का मेरा मुलाज़िम था, मैं लोगों को कर्ज दिया करता था और जब उसे तकाजे के लिए भेजता तो उसे कह दिया करता था कि जो आसानी से वसूल हो जाय बह ले लेना और जिसकी वसूली में मुशिकल पेश आये उसे छोड़ देना। और (तंग दस्त के मामले में) दरगुज़र से काम लेना, शायद अल्लाह तआला हमसे भी दरगृज़र करे। अल्लाह तआलों . ने कहा: “मैंने तुझसे दरगुज़र किया। - नसई

श्र

ज्ञान का महत्व

१. हजरत आइशा रजि० से रिवायत है नबी सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला ने मुझ पर यह 'बह्य'' की": ''जो ज्यक्ति इल्म (सच्चे ज्ञान) की खोज में निकला मैं. उसके लिए जन्नत का मार्ग सुगम कर दूंगा और जिसकी मैंने दो आंखें ले लीं,' तो इन आंखों के बदले मैं उसको जन्नत प्रदान करूंगा और इल्म की अधिकता इबादत की अधिकता से बेहतर है। और दीन (धर्म) की अंसल (जड़) तो परहेजगारी है।” - बैहकी - शोअबुलईमान

१. अल्लाह तआला जिस सूक्ष्म और अदृश्य तरीके से अपना कलाम (वाणी) नबी पर उतारता है उसे वह्य कहते हैं।

२. अर्थात जिसकी दोनों आंखें जाती रहीं और बह अन्धा हो गया। ५६

भलाई का हुक्म देना

१. हजुरत जाबिर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रंसल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला ने जिबरील. अ० को वस्य की कि: “ऐसे-ऐसे. नगर को उसके निवासियों समेत उलट दो।” जिबरील ने कहा कि ऐ: मेरे रब, उन. लोगों में तो तेरा फ़लां बन्दा भी है जिसने एक क्षण के लिए भीः तेरी अवज्ञा नहीं की। नबी सलल्‍ल० कहते हैं कि इस पर अल्लाह ने कहा: “उस नगर को उस व्यक्ति पर और उन्न निवासियों पर उलट दो, क्योंकि उस व्यक्ति का चेहरा मेरे कारण एक घड़ी-के लिए भी बदला (लोगों की बुराइयां देखकर उसे तनिक भी चिन्ता हुई और उसे क्रोध आया)।” - बैहकी

शछ

सुशीलता

१, हजरत उबैदा बिन साबित रजि० से रिवायत' है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता हैः "मेरा प्रेम उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो मेरी राह में परस्पर एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, और-मेरा प्रेम उपयुक्त है उन लोगों के लिए जो मेरी राह में एक-दूसरे से नाता जोड़ते हैं, और मेरा प्रेम उपयुक्त है उन लोगों के लिए जो मेरे लिए एक-दूसरे के हितैषी हैं, और मेरा प्रेम उपयुक्त है उन लोगों के लिए जो मेरी राह में एक-दूसरे से मुलाकात करते हैं, और मेरा प्रेम उपयुक्त है उन लोगों के लिए जो मेरी राह में आपस में एक-दूसरे पर खर्च करते हैं। मेरी राह में आपस में प्रेम करने वाले (कियामत के दिन) नूर के मेंबरों पर बैठेंगे और नबी और सिद्दीक (अत्यन्त संत्यवान लोग) उनके दर्जों की कामना करेंगे (अर्थात्‌ उनके दर्जों की सराहना करेंगे)। - अहमद

२. हजरत मुआज बिन जबल रजि०कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्‍ल० को यह कहते सुना कि अल्लाह तआलाः कहता हैः "मेरी मुहब्बत उन लोगों के लिए वाजिब हो गयी जो मेरी राह में परस्पर एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, और जो मेरी राह में परस्पर एक-दूसरे के साथ बैठते हैं, और मेरी राह में परस्पर एक-दूसरे से मुलाकात करते हैं और मेरी राह में एक-दूसरे पर खर्च करते हैं। -- मुवत्ता

३. हजरत सद्दाद बिन औस रजि० से रिवायत है कि अल्लाह

प्र्प

के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला ने हर चीज के साथ एहसान करने और भलाई करने को जुरूरी ठहराया है (यहां तक) कि जब तुम्हें किसी को कृत्ल भी क्रना हो तो एहसान के साथ .. (भले तरीके से) कृत्ल करो और जब (जानवर को) ज़ब्ह करो तो. अच्छे तरीके से ज़ब्ह करो और तुममें से हर व्यक्ति को चाहिए कि (ज़ब्ह करते बकत) छुरी को तेज कर ले और जानवर को आराम दे। ..._- भुस्लिम

-४. हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रजि० से रिवायत है कि नबी सलल्‍ल० ने कहा कि. अल्लाह तआला कहता है: "निगाह इब्लीस (शैतान) के तीरों में से एक जुहरीला तीर है जिसने मेरे डर से उसे त्याग दिया (अर्थात किसी पराई स्त्री पर निगाह नहीं डाली) तो मैं उसके ईमान में ऐसे गुण पैदा कर दूंगा जिसकी लज़्जुत और

मिठास वह अपने दिल में महंसूस करेगा। - तबरानी

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अपनी जान का हक

१. हजरत जुन्दुब बिन अब्दुल्लाह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा तुमसे पहले के लोगों. में एक शब्स था, वह बड़ी तकलीफ में था। उसने तकलीफ- में बेसब्री दिखायी और छरी.ली और उससे अपने हाथ को काटा। ख़न रुका नहीं यहां तक कि बह मर गया। अल्लाह तआला ने कहा: ''मेरे बन्दे ने अपनी जान के मामले में जल्दी की, मैंने जन्नत.उस पर हराम कर दी (वह जन्नत में दाखिल नहीं हो सकता)।”

| - बुखारीः

कियामतं

१. हजरत अब हरैरह रजि० से रिबायत है कि अल्लाह के रसल सलल० ने कहा कि अल्लाह तआला क्ियामत के दिन जमीन को समेट लेगा और आसमानों को अपने दाहिने हाथ में लपेट लेगा और कहेगा: “मैं बादशाह हूं, कहां हैं जमीन के बादशाह।

- बुखारी

. हजरत अब्दुल्लाह इब्न उमर रजि० से रिवायत है कि

नबी सलल्‍ल० ने कहा कि कियामत के. दिन अल्लाह तआला आसमानों को लपेट लेगा, फिर उनको अपने दाहिने हाथ में लेगा और कहेगा : ''कहां हैं जालिम ! कहां हैं सरकश ! फिर जमीनों को बायें हाथ में लेगा, एक दूसरी रिवायत में है कि जमीनों को दूसरे हाथ में लेगा फिर कहेगा, "मैं बादशाह हूं, कहां है सरकश और चघमंडी। - मुस्लिम

३. हजरत अब मालिक अश्ञरी रजिं० कहते हैं कि अल्लाह के रसल सलल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला कहता है: “मैंने तीम चीजें अपने बन्दों से छपा रखी हैं। अगर उन तीन चीजों को कोई व्यक्ति दुनिया में देख ले, तो कभी भी कोई गुनाह, करे.

अगर मैं अपने सामने से पर्दा हटा दूं और कोई व्यक्ति मुझको देख ले और जान ले कि मैं लोगों को मौत देने के बाद उनके साथ क्या करूंगा।

और किसी को यह बात मालूम हो जाय कि मैं किस प्रकार आसमानों और ज़मीनों को अपनी मुद्ठी में लेकर कहूंगा कि मैं

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बादशाह हूं, मेरे सिवा किसी की बादशाही नहीं। और मैं अपने बन्दों को जन्नत और मैंने उनके लिए जो सामान तैयार किया है, वह भी दिखा दूं और .वे देखकर उसका यकीन कर लें। और मैं अपने बन्दों को दोजख (नरक) और जो अजाब मैंने ठहराया है, वह दिखा दूं और वे उसका यकीन कर लें।

किन्तु मैंने अपने इरादे से उन॑ चीज़ों को छिपा लिया है, अलबत्ता इनका जिक्र उनसे कर दिया ताकि यह मालूम हो कि- थै कैसे कर्म करते हैं।' . _- तबरानी

४. हजरत अनस रजि० से रिवायत है कि नबी सल्‍ल० ने कहा मेरी उम्मत के दो आदमी रब के सामने झगड़ते होंगे। एक कहेगा रब, मेरे इस भाई से मेरा वह हक़ दिला जो इसने जुल्म करके मुझसे लिया था। अल्लाह तआला कहेगा: "यह किस तरह होगा, - इस के प्रास तो कोई नेकी बाकी नहीं रही?” वह कहेगा रब, मेरे गुनाह ,इस,प्र लाद दे। नबी सल्‍ल० यह कहकर रोने लगे और आपकी आंखों में आंसू बहने लगे, फिर आपने कहा कि यह दिन, ऐसा ही है कि लोग इस बात के बहुत मोहताज होंगे कि कोई उनके गुनाह को उठा ले और अपने जिम्मे ले ले।

अल्लाह तआला उस व्यक्ति से जिस पर जुल्म हुआ था कहेगा: “अपनी निगाह ऊपर उठाकर देख।” जब वह निगाह उठाकर देखेगा, तो कहेगा ये सोने-चांदी के शहर और ये जवाहर के मकान कौन से नबी या कौन से सिद्दीक या कौन से शहीद के हैं? अल्लाह तआला कहेगा: “जो इनकी कीमत चुका दे ये उसके हैं।” बह कहेगा रब, इसका कौन मालिक हो सकता है? अल्लाह तआला कहेगा: "तू मालिक हो सकता है। ' वह कहेगा मैं किस तरह मालिक हो सकता हूं? अल्लांह तआला कहेगा:' अपने भाई को माफ़ करने से तू मालिक हो सकता है।” वह कहेगा

दर.

रब, मैंने अपना हक माफ़ किया। अल्लाह तआला कहेगा: "अपने भाई का हाथ पकड़ और उसको जन्नत में दाखिल कर दे।”

नबी सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह से डरो और आपस में सुलह करो। देखो, अल्लाह मुसलमानों के बीच सुलह कराता है। - हाकिम, बैहकी ५. हजरत वासिला बिन आस्का रजि० से रिवायत है कि नबी सलल० ने कहा कि कियामत में एक ऐसा बन्दा उठाया जायेगा जिसने कोई. गुनाह किया होगां। अल्लाह तआला उससे कहेगा: “तुझे तेरे कर्म का बदला दियां जाय मैं अपनी नेमत और एहसान का बर्ताव करूं?” बह कहेगा रब, तुझे मालूम है कि मैंने तेरी कोई अवज्ञा नहीं की। अल्लाह तआला कहेगा: “उससे हमारे एहसानों का मुकाबला करो।” मुकाबला किया जायेगा यहां तक कि कोई नेकी बाकी रहेगी। सभी नेकियां अल्लाह के एहसानों के मुकाबले में खत्म हो जायेंगी। अब वह कहेगा रब, मैं तेरी नेमत और रहमत चाहता हूं। अल्लाह तआला कहेगा: ''हमारी * नेमत और रहमत से इसको जन्नत में ले जाओ।”

फिर एक दूसरा“बन्दा लाया जायेगा जो अपने आप पर भलाई करने वाला होगा और कोई गुनाह उसके जिम्मे होगा। उससे कहा जायेगा: क्या तूने मेरे किसी दोस्त से दोस्ती और किसी दुश्मन से दुश्मनी.की थी?” वह कहेगा कि रब, मैं इस बात को पसन्द नहीं करता था कि मेरे -और किसी के बीच कोई सम्बन्ध हो। अल्लाह तआलां कहेगा: "मुझे अपनी इज़्ज्त और जलाल की : कृुसम (शक्ति, बल और प्रताप की सौगन्ध) मेरी रहमत उस व्यक्ति को नहीं मिल सकती जो मेरे दोस्तों में से किसी दोस्त से मुहब्बत करे और मेरे दुश्मनों में से किसी दृश्मन से दुश्मनी करे।” - तबरानी, हाकिम, -तिरमिजी ३३

६. हजरत इब्न उमर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह मोमिन को करीब करेगा और उसको अपनी हिफ़ाज़त में ले लेगा और उसे ढक लेगा और कहेगा: ' क्‍या तू ऐसे गुनाह"को जानता है? कया तू ऐसे गुनाह को पहचानता है?” वह कहेगा हां मेरे रब, यहां तक कि अल्लाह उससे उसके सभी गुनाहों का इकरार कराग्रेण और वह मोमिन

- अपने दिल में खयाल करेगा कि मैं मारा गया। अल्लाह तआला कहेगा: "मैंने दुनिया में तेरे गुन्नाह को ढाका था और मैं ही आज तेरी बल्िशश करूंगा।” अतः मोमिन को नेकियों का कर्म-पत्र दे दिया जायेगा।

अब रहे काफिर (अधर्मी) और कपटाचारी लोग, तो उनको सारे लोगों के सामने पुकारा जायेगा कि ये हैं वे लोग जिन्होंने अपने रब पर झूठी बात गढ़कर थोपी थी। जान लो कि अल्लाह की लानत है ऐसे जालिमों पर। - मुस्लिम

५७. हजरत अबू जर रजि० से रिवायत है कि नबी सलल० ने कहा कि. मैं उस व्यक्ति को जानता हूँ जो सबसे पीछे जन्नत में दाखिल होगा और सबसे आखिर में दोज़ख से निकलेगा। एक व्यक्ति कियामत में लाया जायेगा तो अल्लाह तआला की ओर से हुक्म होगा: “उसके सामने उसके छोटे गुनाह पेश किये जाय॑ं और उसके बड़े गुनाह उसके सामने ने पेश किये जायं।” उससे कहा जायेगा: ' तूने फलां दिन यह काम किया और फलां दिन ऐसा-ऐसा किया?” वह बन्दा कहेगा कि हां। उसे इनकार का साहस होगा और वह बड़े गुनाहों के खयाल से डर रहा होगा कि कहीं वे पेश

- कर दिये जायं। अल्लाह तआला की तरफ से कहा जायेगा: “अच्छा इस बन्दे के हर गुनाह के बदले एक-एक नेकी है।'' यह खुशखबरी और दया देखकर वह जल्दी से कहेगा कि रब, मैंने

द््ड

कुछ कर्म (गुनाह) और भी किये हैं, मैं उनको यहां नहीं देख रहा हूं। हजुरत अबू हरैरह रजि० कहते हैं कि मैंने देखा कि नबी सलल्‍ल० यह वाकया बयान करते हुए हंस पड़े यहां तक कि आपकी कुचलियां दिखायी दे गयीं। - मुस्लिम ८. हजरत अदी बिन हातिम राजि० से रिवायत है कि नबी सलल्‍ल० ने कहा कि कियामत के दिन कुछ लोगों.को हुक्म दिया जायेगा कि जन्नत की तरफ जाओ। जब ये लोग जन्नत के निकट पहुंचेंगे और -बहां की खुशबुएं सूघेंगे और उन महलों और मकानों को देखेंगे जो जन्नती लोगों के लिए बनाये गये हैं, तो सहसां एक आवाज आयेगी कि उनको लौटा दो, उनका जन्नत में कोई हिस्सा नहीं है। ये लोग बहुत ही हसरत (शोक) के साथ लौटेंगे और यह हसरत ऐसी होगी कि ऐसी हसरत और रंज किसी को हुआ होगा। कहेंगे कि हमारे रब, अगर जन्नत और उसका वह सामान जो तूने अपने मित्रों के लिए तैयार किया है दिखाने से पहले ही हमको दोज़ख में डांल देता, यह हमारे लिए ज़्यादा आसान होता। अल्लाह कहेगा :-''यह मैंने तुमको सजा देने के उद्देश्य से किया है, अभागो, जब- तुम सबसे अल़ग-थलग होते थे, तो बड़े-बड़े गुनाहों के साथ मुकाबला करते थे और जब तुम लोगों में आते थे तो उनसे बहुत ही नम्रता और परहेजंगारों की तरह से मिलते थे। जो कुछ तुम मेरे साथ किया करते थे, उसके विपरीत लोगों पर प्रकट करते थे। तुम लोगों से डरते थे और मुझसे नहीं डरते थे। लोगों को बड़ा समझते थे और मुझको नहीं समझते थे। और लोगों के लिए पवित्र बनते थे और मेरे लिए पवित्र नहीं बनते थे। आज मैं तुमको अज़ाब (यातना) का मजा चखाऊंगा और हर . प्रकार के सवाब (प्रतिदान) से वंचित कर दूंगा।”. - बैहकी

हर

स्वर्ग-नरक (जन्नत -दोजख )

१. हंजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह कहता है: “मैंने अपने नेक बन्दों के लिए वह कछ तैयार कर-रखा है जो-न किसी आंख ने देखा, किसी कान ने सना और किसी आदमी के दिल में उसका .खयाल आया।” यदि तुम चाहो तो यह आयत पढ़ लो "जैसी कछ आंखों की ठंडक उनके लिए (नेक लोगों के लिए) छपाकर रखी गयी है उसे कोई नहीं जानता।

* 'सूर: अस-सजदा : १७) - बुखारी, मुस्लिम, तिरमिजी, इब्न माजह

२. हजरत अबू हरैरह रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के. , रसूल संलल० ने कहा कि जब अल्लाह ने जन्नत और दोजूख को पैदा किया,तो हज़रत जिन्नील अ० को जन्नत की तरफ़ भेजा और कहा: "जन्नत को और जो चीजें मैंने जन्नत वालों के लिए तैयार कर रखी हैं उन्हें देखो।”” आपने कहा कि हजरत जिब्नील अ० जन्नत में आये और जन्नत और जन्नत की नेमतों को जो अल्लाह ने जन्नतवालों के लिए तैयार कर रखी हैं, उनको देखा। आप कहते हैं कि फिर वे अल्लाह के पास वापस आये और कहा कि तेरी इज्जुत की केसम, जो भी उनके बारे में सुनेगा जन्नत में दाखिल . . होकर रहेगा। फिर अल्लाह ने जन्नत के बारे में हुक्म दिया और बह नागवार चीजों (तकलीफ़ों और मशकक्‍्कतों) से घेर दी गयी। फिर जिब्नील से कहा: ''लौटकर जन्नत की तरफ जाओ और देखो .

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कि मैंने जन्नतवालों के लिए क्‍या कुछ उसमें तैयार कर रखा है। वे जन्नत की तरफ गये तो क्‍या देखते हैं कि वह नागवार चीजों से : घिरी हुई है। वे लौटे और कहा तेरी इज़्जुत की कसम, मुझे तो आशंका है कि अब कोई जन्नत में दाखिल हो सकेगा। अल्लाह ने (जब. दोजख को पैदा किया तो हजरत जिब्नील से) कहाः « “दोज़ख की तरफ़ जाओ और उसे देखो और उसे भी जो मैंने दोजख वालों के लिए तैयार कर रखा है।” वे क्‍या देखते हैं कि जहन्नम की लपटें एक-दूसरे पर छा रही हैं। वे अल्लाह के पास लौटकर आये और कहा तेरी इज्जत की कसम, जो कोई भी इनके बारे में सुनेगा वह कभी उसमें दाखिल होने की कोशिश करेगा। फिर अल्लाह ने दोजख के बारे में हुक्म दिया, तो उसे. चाहतों और « वासनाओं से घेर दिया गया। फिर अल्लाह ने (जिब्रील से) कहा: “दोजुख की तरफ़ लौटकर (दोबारा) जाओ।” हजरत जिब्नील उसकी तरफ़ गये और वापस आकर कहा कि तेरी इज़्जुत की कसम, मुझे यह आशंका है कि दोजख में दाखिल होने से कोई बच सकेगा। ._- तिरमिजी, अबू दाऊद, नसई

३. हजरत अनस रजि० से रिवायत है कि नबी सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह उस व्यक्ति से जो कियामत के दिन सबसे हलके अजाब में होगा कहेगा: “अगर जमीन की सारी चीजें तेरे कब्जे में हों, तो क्या तू उसको इसके बदले में दे देगा कि तू अजाब से छूट जाय?” वह कहेगा हां फिर अल्लाह कहेगा: “मैंने तो इससे -भी आसान बात तुझसे चाही थी जबकि तू आदम की पुश्त में था और यह कि तू मेरे साथ किसी चीज को शरीक कर किन्तु तू मेरा 'शरीक ठहराकर रहा।” - बुखारी, मुस्लिम

४. हजरत अनस रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल . सलल० ने कहा कि दोजख वालों में कियामत के दिन एक-ऐसे

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व्यक्ति को लाया जायेगा जो दुनिया में बहुत ज़्यादा खुशहाल था। उसको दोजख में एक ग़ोता दिया जायेगा, फिर उससे पूछा जायेगा: ''ऐ आदम के बेटे, क्‍या तूने खुशहाली देखी? क्या तुझ पर ऐश और आराम की कोई घड़ी गुजरी?” वह कहेगा रब, अल्लाह की कुसम मैंने कभी कोई ऐश और आराम नहीं देखा।

और जन्नत बालों में से-एक ऐसे ब्यक्ति को लाया जायेगा जो दुनिया में बहुत ही कठिनाइयों और मुसीबतों में घिरा रह चुका होगा। उसको जन्नत में एक ग़ोता दिया जायेगा और उससे कहा जायेगा: "ऐ आदम के बेटे, क्या तूने-कभी कोई तकलीफ देखी थी और तुझ पर कभी कठिन समय गुजरा?” वह कहेगा रब, नहीं। तो मुझ पर कभी कोई तकलीफ गुजरी और कभी कोई कठिन घड़ी देखी! ' - मुस्लिम

.दफ

अल्लाह का दीदार

(प्रभु-दर्शन) -

१. हजरत सुहेब रजि० से रिवायत है कि नबी सल्‍ल० ने कहा कि जब जन्नत वाले जन्नत में दाखिल हो जायेंगे तो अल्लाह तआला कहेगा: "क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हें कुछ अपनी और नेमतें दूं?” वे कहेंगे, क्या तूने हमारे चेहरे रौशन नहीं किये। क्या तूने हमें जन्नत में दाखिल नहीं किया और हमें दोज़ख से छुटकारा नहीं दिलाया (अब हमें और क्या चाहिए)। आप सलल० कहते हैं

: कि उस वक़्त पर्दा उठा दिया जायेगा और जन्नत वाले अल्लाह

तआला के मुखार बिन्दु को देखने लगेंगे। फिर जो नेमतें उन्हें दी ' गयीं, उनमें से कोई चीज़ भी उनको अपने रब की ओर देखने से अधिक प्रिय होगी। फ़िर आपने (कुरआन की) यह आयत पढ़ी: "अच्छे से अच्छा करके देने वालों के लिए अच्छा बदला और उसके अतिरिक्त कुछ और भी।” (यूनुस : १०0). - मुस्लिम २. हजरत अबू हरैरह राजु० से रिवायत है कि लोगों ने कहा कि अल्लाह के रसूल, क्या हम कियामत के दिन अपने रब को देखेंगे? आपने कहा: क्‍या तुम दोपहर के वक्त जब कि सूरज बादल में हो तो तुम्हें सूरज के देखने में कोई सन्देह होता है? . सहाबा ने कहा कि नहीं। फिर आपने कहा: क्या जिस रात को चांद पूंरा हो और चांद बादल में भी हो तो क्‍या चांद को देखने, में तुम्हें कोई सन्देह होता है? उन्होंने कहा कि नहीं। फिर आपने ६९

क्लेर

कहा: कुसम है उसकी जिसके हाथ में मेरी जान है। तुम जिस प्रकार चांद और सूरज को देखने में सन्देह नहीं करते उसी प्रकार अल्लाह को देखने में भी तुमको उस दिन कोई सनन्‍्देह होगा। - मुस्लिम ३. हजरत जाबिर रजि० से रिवायत है कि नबी सलल्‍ल० ने कहा कि जबकि जन्नत वाले जन्नत की नेमतों में होंगे, सहसा उनके लिए एक नूर रौशन होगा सो वे अंपने सिर उठायेंगे तो क्या देखेंगे कि उनका रब उनके ऊपर प्रगट है। अल्लाह कहेगा : “तुम पर सलाम हो जन्नत वालो।” नबी सल्ल॑० ने कहा कि यही अल्लाह तआला के इस कथन का अर्थ होता है। "दया करने वाले रब की ओर से सलाम कहा गया है।” (कुरआन, यासीन : ४८) ' आपने कहा कि अल्लाह तआला उनकी तरफ देखेगा और वे उसकी तरफ देखेंगे। फिर वे जब तक खुदा की तरफ देखते रहेंगे, जन्नत की किसी नेमत की ओर ध्यान नहीं देंगे यहां तक कि अल्लाह उनसे पर्दे में हो जायेगा और बाकी रह जायेगा उसका . नूर। - इंब्न माजह

उसका फैसला

१. हजरत अबू हुरैरह रजि० से रिवायत है कि नबी सल्‍ल० ने कहा कि अल्लाह तआला ने हजरत इबराहीम अ० की तरफ़ 'बह्य' (प्रकाशना) की: 'ऐ मेरे मित्र, तुम्हारे अच्छे अख्लाक (सज्जनोचित व्यवहार) चाहे वे काफिरों (अधर्मियों) हीं के साथ हों, तमको नेक लोगों की जमात में दाखिल कर देंगे। मैं यह बात बहत पहले कह चुका हूं कि जिस व्यक्ति का अखलाक अच्छा होगा, उसे अपने अर्श (सिंहासन) की छाया में जगह दूंगा, और अपनी जन्नत में रखंगा और अपने पड़ोस से करीब करूंगा।

- हाकिम, तिरमिजी

२. हजरत अबू उमामा रजि० से रिवायत है कि नजी सल्‍ल० ने कहा कि जब कोई व्यक्ति कर्ज लेता है और उसकी नीयत अदा करने की होती है और मर जाता है, तो अल्लाह तआला कियामत के दिन उसका कर्ज चुका देगा। और जो व्यक्ति कर्ज लेता है और उसकी नीयत अदा करने की नहीं होती है और मर जाता है, तो अल्लाह -तआला कियामत के दिन उससे कहेगा: क्‍या तू यह समझता था कि मैं अपने बन्दे का हक नहीं लूंगा?” फिर उसकी 'नेकियां कर्ज देने वाले को दिला दी जायेंगी और यदि उसके पास नेकियां हुईं, तो कर्ज देने वाले के गुनाह उसकी तरफ़ स्थानान्तरित कर दिये जायेंगे। तबरानी, हाकिम

३. हजरत अबू सईद खुदरी रजि० से रिवायत है कि. नबी

सलल्‍ल० ने कहा कि. अल्लाह जन्नत बालों से कहेगा: 'ऐ जन्नत ७१

वालो। वे कहेंगे हमारे रब, हम हाजिर हैं और आपकी सेवा में बार-बार हाजिर हैं और सारी भलाई आपके हाथों में है। अल्लाह कहेगा : “क्या तुम राजी और खुश हो?” बे कहेंगे हम अपने रब से क्‍यों राजी होंगे जबकि उसने हमें वह कुछ प्रदान किया जो अपनी मझलूक (अपने पैदा किये हुए प्राणी जीव आदि) में से किसी को भी नहीं दिया। अल्लाह कहेगा: ''क्या मैं तुम्हें इससे भी उत्तम

- चीज दूं?” वे कहेंगे रब, इससे उत्तम चीज क्‍या होगी? अल्लाह कहेगा: “मैं तुम पर अपनी खुशी और रजा उड़ेल दूंगा, फिर इसके बाद अब कभी तुमसे नाराज़ और नाखुश नहीं हूंगा। - बुखारी, मुस्लिम, तिरमिजी

छर२ ;